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तुम्हारी याद

  याद किसी की याद न दिन कहती है  न रात कहती है  बस तेरी याद मुझे हर मिनिट, हर सेकंड  आती रहती है । न बातें हैं हमारी ज्यादा  न हैं, मुलाकातें ज्यादा , फिर भी सताती हैं  तेरी यादें मुझको  हत से ज्यादा ।                                               रश्मि गिरि (फुच्ची) Rashmi Giri (Fuchchi)

दीप के दोहे - अमरदीप साहू दीप

 सूर्य किरण को देखकर, खिल जाता है गात।  मन भावन सब को लगे, सुंदर सुखद प्रभात।।  मूंगफली और गुड़ करे,तन मन को मजबूत।  शीत दूर करते यही, इसके बहुत सबूत।।  धर्म कभी मत पूछना, कभी न पूछो जात।  जग में सबसे तुम करो, इंसानो सी बात।।   माँ  के जैसा है नहीं, जग में कोई और।  माँ  की ममता की तरह, कहीं न मिलता ठौर।। कुछ खेतों की जब पकी, फसल हुई तब नष्ट। सोचो कितना हो रहा, है किसान को कष्ट।। खाना पीना छोड़ कर, किया रात दिन काम। श्वेद बहाया धूप में, किया नहीं आराम।। आग कभी दुश्मन बनी, कभी बन गई मीत। दुख देती है ग्रीष्म में, अच्छी लगती शीत।। गेहूँ का भूसा जला, सारा जला अनाज। आग बुझाने में लगा, देखो सकल समाज।। जली फसल जब खेत में, कृषक हुआ गमगीन। दोषी इसमें कौन है, बात बड़ी संगीन।। दया करो अब सूर्य तुम, कुछ कम कर दो ताप। जग की भव बाधा हरो, जगत नियंता आप।। राधे कहती ईश से, करदेना उपकार। भरा रहे हर धाम में, सबका ही भंडार छोटी चिड़िया ढूँढती,ऊँचे ऊँचे वृक्ष । नीड़ बनाने मैं बयां, होती सबसे दक्ष।।

दोस्ती यारी - अमरदीप साहू दीप

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उम्मीद का बसन्त - अमरदीप साहू दीप

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  ला ख उजड़ा हो चमन एक कली को तुम्हारा इंतजार होगा खो जायेंगी जब सब राहें उम्मीद की किरण से सजा एक रास्ता तुम्हें तकेगा तुम्हें पता भी न होगा  अंधेरों के बीच  कब कैसे  एक नया चिराग रोशन होगा सूख जाये चाहे कितना मन का उपवन एक कोना हमेशा बसंत होगा सचमुच वसन्त भी शाश्वत है ,  पतझड़ की तरह. जिस दिन बसन्त न होगा, जीवन में कोई आशा और सौन्दर्य भी न होगा....

जिन्दगी विद ऋचा - पंकज त्रिपाठी

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  दो एक दिन पहले "ऋचा विथ जिंदगी" का एक ऐपिसोड देखा , जिसमे वो पंकज त्रिपाठी से मुख़ातिब हैं । मुझे ऋचा अपनी सौम्यता के लिये हमेशा से पसंद रही है , इसी वजह से उनका ये कार्यक्रम देखता हूँ और हर बार पहले से अधिक उनका प्रशंसक हो जाता हूँ। इसके अलावा सोने पर सुहागा ये होता है कि जिस किसी भी व्यक्तित्व को वे इस कार्यक्रम में लेकर आती है , वो इतने बेहतरीन होते है कि मैं अवाक् रह जाता हूँ।      ऋचा, आपके हर ऐपिसोड से मैं कुछ न कुछ जरुर सीखता हूँ।      अब आते हैं...  अभिनेता पंकज त्रिपाठी पर, जिनके बारे में मैं बस इतना ही जानता था कि वो एक मंजे हुए कलाकार हैं और गाँव की पृष्ठभूमि से हैं। ऋचा की ही तरह मैंने भी उनकी अधिक फिल्मे नहीं देखी। लेकिन इस ऐपिसोड के संवाद को जब सुना तो मजा आ गया। जीवन को सरलतम रुप में देखने और जीने वाले पंकज त्रिपाठी इतनी सहजता से कह देते हैं कि जीवन में इंस्टेंट कुछ नहीं मिलता , धैर्य रखें और चलते रहें ...इस बात को खत्म करते हैं वो इन दो लाइनों के साथ, जो मुझे लाजवाब कर गयी..... कम आँच पर पकाईये, लंबे समय तक, जीवन हो या भोजन ❤️ इसी एपिसोड में वो आगे कहते है कि

पुस्तक - न भूतो न भविष्यति

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आ ज एक चिर प्रतिक्षित किताब पढ़नी शुरू की है । सिर्फ तीस पन्ने पढ़े है और एक बहुत सुंदर प्रसंग आया और स्वयं को बताने से रोक नहीं सका ।      मैं स्वामी रामकृष्ण परमहंस का प्रशंसक हूँ और उन्हें एक निश्छल अबोध सरल से सरलतम सन्यासी के रूप में देखता हूँ ....उनकी इसी निश्छलता और सरलता का प्रसंग पढ़ा और मन पुलकित हो गया ।     इस प्रसंग में नरेंद्र, ठाकुर (रामकृष्ण परमहंस) की बातों से उनको थोड़ा पगलाया हुआ सा समझते है और अपने तर्क वितर्क से, अपनी हाई स्कूल के ज्ञान से, देश विदेशों के पढ़े दर्शन से वे ठाकुर को समझाने की चेष्टा करते है कि जिस माँ के दर्शन की वे बात करते है वो वास्तव में "हैल्यूसिनेशंस" है ।     ऐसे में सबको ऐसा सब दिखता है जिसकी वे कल्पना करते है और आपकी 'माँ' भी आपको ऐसे ही दिखती है।      ठाकुर का मुहँ उतर जाता है और वे बोलते है लेकिन माँ मुझसे बाते करती है।    नरेंद्र कहते है कि आप सिर्फ बातें करते है, लोगो के साथ तो देवी देवता नृत्य भी करते है....यह एक रोग है , कही बढ़ न जाये, संभालिये अपने आप को।      ठाकुर के चेहरे पर संशय के भाव आ गये लेकिन तत्क्षण उन्होने कहा

गुरु से मिली एक शिक्षा के दो रूप - कहानी

अद्भुत संदेश है इस कहानी में  ✅ ➖➖➖➖➖➖➖➖                        एक बार एक व्यक्ति की उसके बचपन के टीचर से मुलाकात होती है । वह उनके चरण स्पर्श कर अपना परिचय देता है। वे बड़े प्यार से पुछती है, 'अरे वाह, आप मेरे विद्यार्थी रहे है, अभी क्या करते हो, क्या बन गए हो ?' ' मैं भी एक टीचर बन गया हूं ' वह व्यक्ति बोला,' और इसकी प्रेरणा मुझे आपसे ही मिली थी जब में 7 वर्ष का था।' उस टीचर को बड़ा आश्चर्य हुआ, और वे बोली कि,' मुझे तो आपकी शक्ल भी याद नही आ रही है, उस उम्र में मुझसे कैसी प्रेरणा मिली थी ??' वो व्यक्ति कहने लगा कि .... 'यदि आपको याद हो, जब में चौथी क्लास में पढ़ता था, तब एक दिन सुबह सुबह मेरे सहपाठी ने उस दिन उसकी महंगी घड़ी  चोरी होने की आपसे शिकायत की थी।  आपने क्लास का दरवाज़ा बन्द करवाया और सभी बच्चो को क्लास में पीछे एक साथ लाइन में खड़ा होने को कहा था। फिर आपने सभी बच्चों की जेबें टटोली थी। मेरे जेब से आपको घड़ी मिल गई थी जो मैंने चुराई थी। पर चूंकि आपने सभी बच्चों को अपनी आंखें बंद रखने को कहा था तो किसी को पता नहीं चला कि घड़ी मैंने चुराई थी। टीच

K Bharat Kumar ISRO // के. भरत कुमार // ISRO Scientist

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अपने बच्चों को यह जरूर दिखाएं और पढ़ाएं ...   “चंद्रयान, चरौदा और भरत कुमार"     कल शाम 6.04 बजे चंद्रयान 3 का लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) वाला एलएम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास उतरेगा। चाँद में इस जगह उतरनेवाला भारत पहला देश होगा। यह भारतीय प्रतिभा का एक अनुपम उदाहरण है जो ISRO के माध्यम से साकार हो रहा है। अब जरा धरती के एक कस्बे चरौदा (छत्तीसगढ़) पहुंचते हैं। यहां एक लड़का था के. भरत कुमार। भरत के पिता बैंक में सुरक्षा गार्ड हैं और बच्चों को बेहतर शिक्षा देना चाहते थे। इसके लिए आर्थिक समस्या आड़े आती थी सो भरत की माँ ने चरौदा में एक टपरी पर इडली चाय बेचने का काम शुरू किया। चरौदा में रेलवे का कोयला उतरता चढ़ता है। कोयले की इसी काली गर्द के बीच भरत मां के साथ यहां चाय देकर, प्लेट्स धोकर परिवार की जीविका और अपनी पढ़ाई के लिए मेहनत कर रहा था। भरत की स्कूली पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय चरौदा में होने लगी। जब भरत नौवीं में था, फीस की दिक्कत से टीसी कटवाने की नौबत आ गयी थी पर स्कूल ने फीस माफ की और शिक्षकों ने कॉपी किताब का खर्च उठाया। भरत ने 12 वीं मेरिट के साथ पा

इश्क क्यों कीजिए ? By - Amardeepsahudeep

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 ज़िंदगी में एक बार ज़रूर 'इश्क़' कीजिए। ज़रूरी नहीं कि आपका 'इश्क़' मुक्कमल हो, आपको मंज़िल मिल ही जाए, मगर एक बार के लिए ख़ुद को डुबो कर देखिए। शायद 'इश्क़' न हो मुकम्मल मगर हाँ आप इंसानी तौर पर ज़रूर मुक्कमल हो जाएँगे।  हो सकता है कि आप अपने महबूब के साथ ताउम्र नहीं रह पायें। शायद आप उनको देखने को भी तरसें मगर जो वो एक मुलाक़ात होगी न 'इश्क़' वाली, ख़्वाब वाली, कुछ पल या दो दिन वाली, वो बची हुई तमाम उम्र को महका जाएगी।  जानते हैं, समूर्णता कुछ नहीं है, बस आप और आपके महबूब का वो साथ, वो लम्हा है, जिसमें आप दोनों ख़ामोश रहते हैं। और लरजतीं साँसें तमाम उम्र के अफ़साने एक-दूसरे के आत्मा पर उकेरे जाती है। उन ख़ामोश लम्हों में बुने गये, वो मुलायम शब्द, इश्क़ के गुज़र जाने के बाद भी आपके साथ रहेंगे। सो 'इश्क़' कीजिए और टूट कर कीजिए। एक महबूब चुनिए और मिल कर बुनिए कुछ रेशम से ख़्वाब! लेखक - अमरदीप साहू "दीप" हिन्दी साहित्य में सिल्वर मेडल - 2021 कानपुर विश्वविद्यालय इंस्टाग्राम - https://www.instagram.com/amardeepsahudeep/ टि्वटर - https://m

आतंकवाद एवं नक्सलवाद राष्ट्रीय एकता में बाधक // Amardeep

बिषय - आतंकवाद एवं नक्सलवाद राष्ट्रीय एकता में बाधक  लेखक - अमरदीप साहू "दीप" (बी.ए. सिल्वर मेडल, कानपुर विश्वविद्यालय-2021) संपर्क - 8726740628, 7990756088  जब किसी राष्ट्र के सभी व्यक्ति किसी भी आधार पर भावनात्मक एकता का अनुभव करते हैं एवं राष्ट्रहित के लिए अपने व्यक्तिगत एवं सामूहिक हितों का त्याग करते हैं तो यह कहा जाता है कि उस राष्ट्र में राष्ट्रीय एकता है। रामधारी सिंह दिनकर जी ने कहा है कि - *राष्ट्रीय एकता से तात्पर्य किसी राष्ट्र के सभी व्यक्तियों में 'हम' की भावना का होना है।.* आज सम्पूर्ण विश्व में अतएव मानव जाति में आतंकवाद ने अपनी जड़ें मजबूत कर ली हैं, 9/11 का अमेरिकी हमला तथा 26/11 का मुम्बई ताज हमला तथा अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का कब्ज़ा हमें इस बात का एहसास कराते हैं कि आतंकवाद नाम की बीमारी बहुत बड़ी है।. आतंकवाद एक प्रकार की हिंसात्मक गतिविधि है जब कोई व्यक्ति या संगठन अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए किसी अन्य देश के नागरिकों को निशाना बनाता है या वहां की शान्ति भंग करता है तो इस कुकृत्य को आतंकवाद की संज्ञा दी जाती है। हालांकि आतंकवाद की सा

Unconditional Break from Virtual World

  Hey, guys, just a quick note to let you know that I’m taking a little break from social media, starting next week. If you think you might need to reach me, just send me a private message and I can let you know how to stay in touch. There is no any other option in my life besides to get success in life...  सपनों को देखा है तो उन्हें पाने के लिए संघर्ष भी करना पड़ेगा।।  मैं एक हारा, कमज़ोर, गिरा हुआ एवं निराशाओं से पीड़ित व्यक्ति हूं...मेरे पास कोई ऐसी विशेष प्रतिभा नहीं है जिससे मैं दुनियां को दिखा सकूं कि मैं भी किसी से कम नहीं। मैं सदैव अतीत में जीता हूं, वर्तमान मेरी पहुंच से दूर रहता है तथा उलूल-जुलूल बातें लिखना मेरी मुख्य पहचान है...!!! वक़्त किसी के पास नहीं है मगर जिंदगी के हर लम्हे को करीब से जीने को दिल चाहता है  यूँ ही कट जाएगा मुश्किलों का दौर भी वक़्त के साथ हमे जिंदगी के आईने में उतर जाने को दिल चाहता है। । दुःख और कुछ नहीं है.... सुखों को ढोते हुए बने घाव हैं.... इनकी पीड़ा तब महसूस होती है ,जब सुखों की बोरी उतरती है... और मनुष्य सहारा लेने को अपनी पीठ... वक़्त की दीवार

मोटिवेशनल कविता // Motivational Poem // #AmardeepSahuDeep

अ सफल हो गया था मैं अपने पहले प्रयास में  कुछ कमी आ गई थी तब मेरे आत्मविश्वास में  मैं डर गया था कि अब मुझसे नहीं हो पाएगा  मेरी  मंजिल  मेरा  सपना  अधूरा  रह  जाएगा लक्ष्य के पास होकर भी बहुत दूर खड़ा था मैं हार गया युद्ध जिसको जी-जान से लड़ा था मैं फिर से आंखें चमक पड़ी आशा की किरण छाई मेरे गम को मिटाने फिर एक सुनहरी सुबह आई लिया निर्णय एक बार फिर उतारूंगा मैदान में मंजिल  पाने को अपनी लगा दूंगा अपनी जान में एक दिन तो ऐसा आएगा मेरी मेहनत रंग लाएगी चलते चलते ही सही मंजिल तो मिल जाएगी कोई सपना अधूरा नहीं रहता अगर दिल में विश्वास हो  कोई मंजिल नहीं छूटती  अगर पाने का  प्यास हो आज से निर्णय ले लो तुमको लड़ना है जीवन में तुमको बढ़ता है जीवन में कुछ करना है जीवन में कांटे हो या पत्थर बिछे हो तेरी राहों में मंजिल की प्यास लेकर चल अपनी निगाहों में हार तेरी होगी लेकिन केवल तू नहीं हारेगा अपने संग संग तू उन लाखों सपनों को भी मारेगा जो तेरी राह में दिन रात आंखें बिछाए रहते है जो कहते हैं एक दिन मेरा बेटा आरएएस बनकर आएगा इंतजार कर रहे हैं मेरे अपने वह दिन कब आयेगा जिस  दिन  मेरा  बेटा  आरएएस  बन

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