Amardeep Sahu Deep कुछ जल सा रहा है मुझमें, मालूम नहीं ख्वाहिशें हैं या हम,मालूम नहीं बेइंतहा दर्द है, पुराने घाव का या किसी से लगाव का,मालूम नहीं कुछ छूट रहा है मुझसे, कुछ अपने या कोई हमरूह,मालूम नहीं पलकें भीगी भीगी सी हैं, कुछ टूटने से या किसी के रूठने से, मालूम नहीं ख्वाहिश मिट्टी में मिल जाने की हो रही है सांसें भारी हैं या किसी से बढ़ रही दूरी है,मालूम नहीं कुछ जल सा रहा है मुझमें, मालूम नही fb.com/amardeepsahudeep https://www.facebook.com/Amardeepsahudeep/?ref=bookmarks # Deep https://www.facebook.com/Amardeepsahudeep/?ref=bookmarks