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तारीख, फूल और तुम ।। Frdshp Poem ।। #AmardeepSahuDeep

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अ क्सर जिनसे हमारे दिल मिल जाते हैं  उनसे हम नहीं मिल पाते  जैसे किसी महीने की आखिरी तारीख नहीं मिल पाती अपने करीबी महीने की पहली तारीख से मिलने और बिछड़ने की दो तारीख़ों के बीच अटका हुआ एक रिश्ता  अकातर  अपूर्ण धूमकेतु सा ब्रह्मांड में तैर रहा है… ….रहेगा। और मुझसे टकराता रहेगा;बनके “धूप” “दर्पण” और कभी-कभी “तुम” मिलेंगे जब भी कभी किसी बंजर रेगिस्तान के मोड़ पर भरी हुयी आँखें फिर डबडबाकर छलक जायेंगी  और खिलेगा वो फूल जो अपने समय में नहीं खिल पाया था ।।                                                                                                                                                                        -- अमरदीप साहू "दीप"

तारीख, फूल और तुम ।। अमरदीप साहू "दीप"।। #AmardeepSahuDeep

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अ क्सर जिनसे हमारे दिल मिल जाते हैं  उनसे हम नहीं मिल पाते  जैसे किसी महीने की आखिरी तारीख नहीं मिल पाती अपने करीबी महीने की पहली तारीख से मिलने और बिछड़ने की दो तारीख़ों के बीच अटका हुआ एक रिश्ता  अकातर  अपूर्ण धूमकेतु सा ब्रह्मांड में तैर रहा है… ….रहेगा। और मुझसे टकराता रहेगा, बनकर “धूप” “दर्पण” और कभी-कभी “तुम” मिलेंगे जब भी कभी किसी बंजर रेगिस्तान के मोड़ पर भरी हुयी आँखें फिर डबडबाकर छलक जायेंगी  और खिलेगा वो फूल जो अपने समय में नहीं खिल पाया था ।।                     -- अमरदीप साहू "दीप"

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