Posts

Showing posts from April 21, 2019

एक पिंजरा

Image
 हाँ आऊँगी मैं रोज लेट बस....एक दिन लेट क्या हो गई घर सर पर उठा लिया..... बेटा मैं तो बस इत्ता कह रहा था कि...बस अब्बू अब कुछ नही सुनना मुझे तंग आ गई इस रोज रोज की खिटपिट से.....मुझे अपने पिंजरे की चिड़िया न समझना...कि कैद में रखोगे । और इसके बाद दोनों तरफ ख़ामोशी छा गई.....बिटिया पैर पटकते हुए बाहर वाले कमरे में चली गयी और अरशद मियां वहीं आँगन में बैठ के अपने बनाए पिंजरों को देखने लगे...अरशद मियां पक्षियों के लिए पिंजरे बनाया करते थे....आज वो याद कर रहे थे रौशनी की अम्मी को..कि वो होती तो समझाती बिटिया को कि मैं तो बस पूछ रहा था देर कहाँ हो गयी क्यों हो गई.. बाप हूँ चिंता तो होगी न...... बिटिया अब बड़ी भी हो चली है और जमाना तो......। पर आज उसने मुझे अहसास दिलाया कि मेरी परवाह उसके लिए बंदिश है । बिटिया अंदर आई और किचन में घुस गयी उसे भूख लगी थी उसने खाना निकाला और फिर बाहर वाले कमरे में चली गयी....अरशद मियां भी रूम में गये और बोले बेटा मैं....बिटिया ने अबकी बार कुछ नही कहा बस एक बार गुस्से से देखा और फिर खाने लगी...बेटा हर पिंजरे का मकसद बंधन नहीं होता, चिड़िया को हम पालना चाहे

A list of Blog Posts (Playlist)

Show more

Follow us on Twitter

आपकी आगंतुक संख्या