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सूर्योदय से पहले ही क्यों दी जाती है फांसी

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क्या आप जानते हैं कि अपने देश में सूर्योदय से पहले ही क्यों दी जाती है फांसी ? ⤵⤵ कानून लोगों को उनके जुर्म के अनुसार सज़ा सुनाता है. हमारे देश में मौत की सज़ा सबसे बड़ी सज़ा मानी जाती है. कई लोग इस सज़ा का विरोध भी करते रहे हैं. पर बात ये नहीं है कि ये सज़ा सही है या गलत? हम आज बात कर रहे हैं फांसी की सज़ा से जुड़ी कुछ बातों की. फांसी की सज़ा होते, हम सबने बस बॉलीवुड की फिल्मों में ही देखा होगा. आपने देखा होगा कि फांसी की सज़ा होते वक़्त वहां गिनती के लोग ही मौजूद होते हैं. उन लोगों में एक तो फांसी देने वाला ज़ल्लाद होता है, कैदी की स्वास्थ्य जांच करने वाला एक डॉक्टर होता है, एक न्यायाधीश या उनके द्वारा भेजा गया कोई प्रतिनिधि और पुलिस के कुछ अधिकारी होते हैं. नियम ये भी है कि फांसी खुले आम नहीं देनी है, ये कुछ बंद दीवारों के बीच ही होती है, जहां चुनिन्दा लोगों के अलावा कोई और नहीं होता. लेकिन सबसे आश्चर्य की बात तो ये है कि आख़िर गुनहगारों को फांसी सूर्योदय के पहले ही क्यों सुनाई जाती है? जी नहीं! ये महज़ एक इत्तिफ़ाक नहीं है, ये अनुदेशित है कि फांसी की सज़ा सुबह ही होनी चाहिए. आइये आपको बताते

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