बन DySP लौटूँगा // motivational poem // UPSC, UPPCS, CSE #AmardeepSahuDeep
आना-जाना छोड़ चुके पर्वों से नाता तोड़ चुके रखकर पत्थर अपने दिलों पर घर से मुखड़े मोड़ चुके किसका दिल करता है यारो घर का सुख-चैन गँवाने को फिर भी घर हम छोड़ आये हैं जीवन सफल बनाने को नैन में मां के बसता सपना मैं अब काबिल बन जाऊं कर-कर चिंता बूढ़ी हो गयी कभी तो खुशियाँ दिखलाऊं बाप से मेरे चला न जाता फिर भी काम को जाता है मेरा खर्चा भिजवाने को रोज़ कमाकर लाता है छत वो घर की टपक रही है जिसके नीचे सोते हैं जब-जब बाहर हुआ मेरिट से मुझसे ज्यादा रोते हैं पता है मुझको, पता है रब को मेहनत में मेरी कमी नहीं वो जीवन भी क्या जीवन जिसमें किस्मत से ठनी नहीं माना चलती कठिन परीक्षा मेहनत मेरा हथियार है गुरुओं से लेकर दीक्षा अर्जुन रण को तैयार है सब्र का मईया। बाँध न टूटे गला किस्मत का घोटूँगा चन्द महीने बाकी हैं बस बन DySP लौटूँगा ........