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Showing posts from August, 2022

Happy Birthday Ishu (My Open Heart) // जन्मदिन मुबारक मेरे भाई // #AmardeepSahuDeep

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इस साल अपने भाई का जन्मदिन मनाने का सबसे अच्छा तरीका सोचा है  भाई के लिए हमारी शुभकामनाओं में से एक! भा ई/ सबसे वफादार मित्र -:  एक मिनट के लिए वह मेरा सबसे अच्छा दोस्त बन जाता है और अगले मिनट वह हमारे घर का अनमोल खिलौना या मेरी शर्ट के पिछले हिस्से पर बर्फ डाल रहा है ऐसा शरारतें करने वाला लापरवाह। कभी-कभी तो उसके साथ खेलते हुए मैं गलती से जीत गया तो वो रोने लगता है फिर अगर वो जीत गया तो जबतक पूरे घर को बता नहीं देगा, चैन से बैठेगा नहीं। उसको जिताने के लिए हारना पड़ता है यही तो प्यार होता है एक बड़े भाई का छोटे भाई से। जब भी बाजार से कोई खाने वाली चीज आती पहले से ही दो भाग अलग-अलग भाग आते जिससे घर पर लड़ाई न हो अक्सर वो अपना हिस्सा खाने के बाद वो मेरे हिस्से से आधी खाता। हम सभी एक साथ बड़े हुए हैं, यादें बना रहे हैं, किले बना रहे हैं, मज़ाक कर रहे हैं और जीवन के कठिन समय में एक-दूसरे का समर्थन कर रहे हैं। जब आपके पास जश्न मनाने का कोई कारण होता है, तो आपका भाई आपका उत्साह साझा करने वाला पहला व्यक्ति होता है। यदि आपका दिन खराब है, तो आप जानते हैं कि आप हमेशा अपनी पीठ थपथपाने के लिए उस पर भ

गुलाबी बतख़ // कहानी // दीक्षा चौधरी

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 रेगिस्तानी गाँव की गलियां सुबह के दस बजे ही ख़ाली लग रही थीं। धूल उड़ाती गर्म लू की आवाज़ ऐसी लगती जैसे कोई आवारा लड़का सीटी बजाता हुआ पूरे गाँव में दौड़ रहा हो। मनल और उसकी सहेलियों ने अपने सारे खेल खिलौने समेटकर नीम की छाया में जमा दिए थे। कुल्फ़ी वाले की घंटी बजी तब वो सब अपना रोज़ का आख़िरी खेल खेल रही थीं। उस खेल में एक पुरानी साइकिल थी, और बहुत सारे शहरों के नाम जो उन्होंने अख़बार में पढ़े थे या टीवी और रेडियो पर सुने थे। खेल ये था कि मनल साइकिल चलाती हुई आती और पीछे काठी पर बैठी लड़की चिल्लाती - "बस आ गयी बस! जिस जिसको चलना है आ जाओ!" "कहाँ जाएगी बस?" सवारी बनकर खड़ी लड़कियों में से कोई पूछती। यहाँ काठी पर बैठी लड़की को उन सारे शहरों के नाम बोलने होते थे, जो उसे पता थे।  वो चिल्लाती - "बीकानेर, जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, दिल्ली..."   "मुंबई... मुंबई... मुंबई..." मनल चिल्लाती। सब लड़कियां झट से साइकिल के पीछे कतार से काठी पकड़कर चलने लगतीं। उनमें से किसी को भी, किसी भी शहर की दूरी या रास्ता मालूम नहीं था। साइकिल के दो पहिये थे, जो सपनों जितने तेज़ दौड़ते थे। ए

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