शिक्षक दिवस Teacher's Day
धूप में छांव जैसी होती है माँ
हमारे जीवन की पहली शिक्षक हमारी माँ होती है। हम कितने भी ऊँचे ओहदे पर क्यों न पहुँच जाएँ पर गुरु हमेशा हमसे बड़ा था ,है और रहेगा। जब नन्हा शिशु इस संसार में आता है तो उसको इस नए संसार से परिचय कराने वाली हमारी माँ होती है। एक लड़की के लिए सबसे अच्छी मित्र उसकी माँ होती है ठीक वैसे ही एक लड़के के लिए उसका सबसे अच्छा मित्र उसके पिता होते हैं।
अपनी माँ के साथ अमरदीप |
कहा जाता है की शिक्षक हमारे समाज की रीढ़ की हड्डी होती है. हमारे माता-पिता हमें जन्म देते हैं लकिन शिक्षक हमें भले और बुरे का अंतर बताकर हमारे भविष्य को उज्जवल बनाते हैं. हमारे जीवन में शिक्षक का महत्व बहुत बड़ा योगदान होता है. शिक्षा हर इंसान के लिए जरुरी है. इसके बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते है
बाबा भीमराव अम्बेडकर जी ने कहा था - "शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो जितना पियेगा वो उतना दहाड़ेगा"
गुरु केवल वह नहीं जो हमें कक्षा में पढ़ाते हैं बल्कि हर वो व्यक्ति जिससे हम सीखते हैं वह हमारा गुरु है। शिक्षा वह तपस्या है जो जीव को इंसान बनाती है
शिक्षा हासिल करने की कोई उम्र नहीं होती, व्यक्ति जीवनभर सीखता है. .
जीवन में अच्छा पद प्राप्त कर लेना ही सफल होने कि निशानी नहीं है, एक अनुशासित और अच्छा इंसान बनना सबसे जरूरी होता है और एक अनुशासित व्यक्ति कभी बेगार नहीं रहता।
अध्यापक अपने छात्रों को अपने ही बच्चे की तरह सावधानी और गंभीरता से शिक्षित करते हैं और उनके भविष्य को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं. इसलिए हमें उन्हें कभी भी भूलना और नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए. हमें उनका सम्मान और उनसे प्रेम करना चाहिए. हमारे माता-पिता हमें प्यार और गुण देने के जिम्मेदार है बल्कि हमारे ज़िन्दगी की सफलता की डोर शिक्षक के हाथ में होती है. वे अपने निरंतर प्रयासों से हमें शिक्षा के महत्त्व से अवगत कराते हैं. वे हमारी प्रेरणा का सबसे अच्छा स्रोत होता है और हमें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. वे हमें जीवन में आने वाली समस्त बाधाओं का सामना करने के लिए तैयार करते हैं. वे पूरी तरह से अपार ज्ञान और बुद्धि से भरे होते हैं, जिनका प्रयोग कर वे हमारे जीवन में ज्ञान का प्रकाश भरते में करते हैं.
संस्कृत का एक श्लोक है कि - गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः अर्थात -
गुरुर ब्रह्मा : गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं.
गुरुर विष्णु : गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं.
गुरुर देवो महेश्वरा : गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं.
गुरुः साक्षात : सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष , ( गुरु ही )
परब्रह्म : सर्वोच्च ब्रह्म
तस्मै : उस एकमात्र को
गुरुवे नमः : उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करता हूँ
गुरु को ब्रह्मा (निर्माता) माना जाता है क्योंकि वे आप में परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू करते हैं और आपको सही दिशा में ले जाते हैं। गुरु को विष्णु (रक्षक) माना जाता है क्योंकि वह आपको दुनिया के नकारात्मक प्रभाव से बचाता है और आपकी प्रगति में मदद करता है। गुरु को शिव (विध्वंसक) माना जाता है क्योंकि वे हमारे कष्ट को नष्ट कर देते हैं और वहाँ से कर्म बंध हटाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। एक वास्तविक आत्मा के रूप में, गुरु परम ब्रह्म का अवतार है
कहते हैं कि – Teaching is a noble profession यानी शिक्षण एक महान पेशा है. और मैं ये भी कहना चाहूँगा कि अध्यापन कार्य , वह महान प्रोफेशन है जो बाकी सभी प्रोफेश्न्स की नींव है.
निश्चित ही अगर शिक्षक नहीं होते, तो डॉक्टर नहीं होते, इंजिनियर नहीं होते, हर तरफ अशिक्षा और अज्ञानता का वास होता.
इसमें कोई शक नहीं कि वे छात्रों के व्यक्तित्व को आकार देने , उन्हें देश का आदर्श नागरिक बनाने में अहम भूमिका अदा करते हैं ।
मित्रों, ये कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि –
अगर द्रोणाचार्य नहीं होते तो महान धनुर्धर अर्जुन नहीं होता
अगर रामकृष्ण नहीं होते तो स्वामी विवेकानंद नहीं होते
अगर आचरेकर नहीं होते तो मास्टर ब्लास्टर तेंदुलकर नहीं होता
साधारण पौधे रूपी मनुष्यों को सींच कर एक विशाल वृक्ष बनाने वाले महान शिक्षकों को मैं बारम्बार नमन करता हूँ
निश्चित ही अगर शिक्षक नहीं होते, तो डॉक्टर नहीं होते, इंजिनियर नहीं होते, हर तरफ अशिक्षा और अज्ञानता का वास होता.
इसमें कोई शक नहीं कि वे छात्रों के व्यक्तित्व को आकार देने , उन्हें देश का आदर्श नागरिक बनाने में अहम भूमिका अदा करते हैं ।
मित्रों, ये कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि –
अगर द्रोणाचार्य नहीं होते तो महान धनुर्धर अर्जुन नहीं होता
अगर रामकृष्ण नहीं होते तो स्वामी विवेकानंद नहीं होते
अगर आचरेकर नहीं होते तो मास्टर ब्लास्टर तेंदुलकर नहीं होता
साधारण पौधे रूपी मनुष्यों को सींच कर एक विशाल वृक्ष बनाने वाले महान शिक्षकों को मैं बारम्बार नमन करता हूँ
युगों से हमारे समाज में शिक्षक वर्ग का स्थान अति सम्मान पूर्ण रहा है। हमारी सफलता के पीछे हमारे शिक्षक का बहुत बड़ा हाथ होता है। हमारे माता-पिता की तरह ही हमारे शिक्षक के पास भी ढ़ेर सारी व्यक्तिगत समस्याएँ होती हैं लेकिन फिर भी वह इन सभी को भूलकर रोज स्कूल और कॉलेज आते हैं तथा अपनी जिम्मेदारी को अच्छी तरह से निभाते हैं। कोई भी उनके बेशकीमती कार्य के लिये उन्हें धन्यवाद नहीं देता इसलिये एक विद्यार्थी के रुप में शिक्षकों के प्रति हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि कम से कम साल में एक बार उन्हें जरुर धन्यवाद दें ।
गुरू की उर्जा सूर्य-सी, अम्बर-सा विस्तार.
गुरु की गरिमा से बड़ा, नहीं कहीं आकार.
गुरु का सद्सान्निध्य ही,जग में हैं उपहार.
प्रस्तर को क्षण-क्षण गढ़े, मूरत हो तैयार.
शिक्षक और विद्यार्थी के बीच के रिश्तों की खुशी को मनाने के लिये शिक्षक दिवस एक बड़ा अवसर है। इस दिन स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षक और विद्यार्थियों के द्वारा बहुत ही खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। अपने विद्यार्थियों से शिक्षकों को ढ़ेर सारी बधाईयाँ मिलती है। आधुनिक समय में शिक्षक दिवस को अलग तरीके से मनाया जाता है। इस दिन विद्यार्थी बहुत खुश होते हैं और अपने तरीके से अपने पसंदीदा शिक्षक को बधाई देते है। कुछ विद्यार्थी पेन, डॉयरी, ग्रीटिंग कार्ड आदि देकर बधाई देते हैं।
1 - अजय राजपूत सर ( क्लास - 6 से 10 )
अजय राजपूत सर |
सर आपका वो नवरात्रि का व्रत और आपके द्वारा की हुयी तपस्या का फल आपको तो मिला ही साथ ही साथ हम बच्चों को भी मिला है।
2 - महेंद्र पाठक सर ( क्लास - 6 से 10 )
मेरे जीवन के निर्माण में आपका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहे यही दुआ करता हूँ ।
3 - शिव सिंह सर ( क्लास 6 - 10 )
मेरे फेवरेट बिषय "अंग्रेजी" , जो मैनें आपसे पढ़ी , आज तक नहीं भूल पाया। उन दिनों मैं अपनी गलतियों ( कभी इंग्लिश की किताब स्कूल न ले जाना , कभी होमवर्क को एक व्यवस्थित कॉपी में लिखना ) से कई बार क्लास से रेस्टीगेट हुआ था परन्तु आज आपकी वो क्लास बहुत याद आती है। सर आपके पढ़ाने का समय निश्चित ही नहीं हुआ करता था अगर मन है तो 2 घंटे ( 80 मिनट ) कम पड़ते थे और अगर मन नहीं है तो उन्ही 10 मिनटों में शायद ही पूरी क्लास पिट जाती थी।
सर आपके शिवेष पाठक सर व अखिलेश सैन सर के मार्गदर्शन में ही मुझे पहली बार अपने विद्यालय के वार्षिकोत्सव में मंच तक पहुँचने का शुभ-अवसर मिला वह मेरे लिए हमेशा यादगार लम्हों की तिजोरी में सुरक्षित रहेगा। किसी मंच पर जाना बड़ी बात होती है, वहाँ पर अपनी प्रस्तुति देना उससे भी बड़ी बात। किसी भी छात्र के लिए इससे अधिक गौरव की बात और क्या होगी कि वह अपने किसी टीचर का प्रिय शिष्य बने पर उस समय तो हमारी पूरी मित्र मण्डली ही सभी टीचरों के लिए प्रिय थी ।
3 - शिव सिंह सर ( क्लास 6 - 10 )
शिवसिंह सर |
शिवेश पाठक सर |
सर आपके शिवेष पाठक सर व अखिलेश सैन सर के मार्गदर्शन में ही मुझे पहली बार अपने विद्यालय के वार्षिकोत्सव में मंच तक पहुँचने का शुभ-अवसर मिला वह मेरे लिए हमेशा यादगार लम्हों की तिजोरी में सुरक्षित रहेगा। किसी मंच पर जाना बड़ी बात होती है, वहाँ पर अपनी प्रस्तुति देना उससे भी बड़ी बात। किसी भी छात्र के लिए इससे अधिक गौरव की बात और क्या होगी कि वह अपने किसी टीचर का प्रिय शिष्य बने पर उस समय तो हमारी पूरी मित्र मण्डली ही सभी टीचरों के लिए प्रिय थी ।
4 - डॉ. लखन लाल पाल ( क्लास 11 - 12 )
सर आपसे मिलने का , आपसे पढ़ने का , आपके सम्पूर्णं ज्ञान का अल्प अंश ग्रहण करने का सौभाग्य मुझे मेरी क्लास 11 ( ग्यारवीं ) में मिला । सर यहां आपके आशीर्वाद से मैंने अपनी पहली कविता लिखी ( उसकी कुछ लाइनें ) मेरी पहली कविता हमारे विद्यालय ( SVM Orai ) की वार्षिक पत्रिका "सारस्वत 2016 -17" में प्रकाशित हुयी , इसके लिए मैं आपका कोटि कोटि धन्यवाद करता हूँ। इस कॉलेज से शिक्षा के साथ साथ सामाजिक कार्यों , जिला स्तरीय खेल कूद से लेकर राष्ट्रीय स्तर की स्काउट में भी भाग लेने अवसर मिला ।डी.बी.एस.महाविद्यालय,छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर
यह बहुत महत्वपूर्ण है कि शिक्षार्थी की क्षमता को समझने के लिए शिक्षक, छात्रों के साथ पारदर्शी और खुली चर्चा में शामिल हो इससे छात्रों के मन में आत्मविश्वास आता है और शिक्षक छात्र की शैक्षिक कुशलता का आंकलन करते हैं । कुछ छात्र शर्मीले होते हैं जबकि अन्य विफलता से डरते हैं। एक सच्चे शिक्षक पर व्यावहारिक रूप से छात्रों को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करने में भरोसा किया जा सकता है। मैम हम सभी आपसे अपनी Personal बातें भी Share करते हैं अगर कोई गलत रास्ते पर चलने वाला है ( चल रहा है ) तो आप उसको एक माँ की तरह समझाती हैं यहां तक कि आप अपने लड़के का उदाहरण देती हैं ( हालाँकि हमारे प्रखर भाई इसका दूसरा उदाहरण हैं 😆😂)
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एक औसत शिक्षक बताता है। एक अच्छा शिक्षक विवरण देता है,एक उत्कृष्ट शिक्षक प्रमाणित करता है और एक महान शिक्षक प्रेरित करता है। आप हमारे हिंदी विभाग की वही महान शिक्षक हैं जिन्होनें मुझे शब्दों का ज्ञान सिखाया मैं उनका यश-गान चंद शब्दों नहीं कर सकता। हम अपने जीवन के लिए माता पिता के ऋणी होते हैं लेकिन एक अच्छे व्यक्तित्व के लिए हम एक शिक्षक के ऋणी होते हैं। मैं आपके जैसे समस्त शिक्षकों का हमेशा ऋणी रहूँगा।
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एक अच्छे शिक्षक को नियम पता होने चाहिए तथा एक अच्छे छात्र को अपवाद। आप पहले किसी chapter को पढ़ाती हैं फिर एक बार उसको दोहराती हैं फिर बच्चों से कहती हैं कि जो समझ न आया हो पूछ लो फिर भी कुछ छात्र ( मेरे जैसे ) जो
एक बार आपने मुझे क्लास के बाद मेरी मित्र लड़की ( फ्रेंड गर्ल ) मण्डली ( आन्या , रितिका , श्रेया , आदिती , साक्षी , सौम्या , पायल आदि ) में किसी के साथ देख लिया था तो अगले दिन आपने मुझसे कहा - ''बेटा तुम्हें भी DBS की हवा लग रही है''। मैम उस दिन तो हम आपसे Sorry बोलकर आ गए थे परन्तु आज बता दें कि हमें एक साल पहले ही कानपुर की हवा लग चुकी थी और उस गर्म,नर्म हवा ने बहुत झुलसाया था उसकी आंच मेरे घर तक गयी थी और उसी पर मेरे अपनों ने स्वार्थ की रोटियाँ सेंकी थी , अब DBS की हवा और हरियाली मेरी सफलता के मार्ग में कोई अड़चन नहीं बन सकती। और न ही बनी है आज ☺☺ |
स , श और ष में अन्तर सीखा। जब मैं पहली बार आपकी क्लास में आया था तो लड़कियों के बगल में बैठने में बहुत सकुचाता था ( गांव के छोटे स्कूल से निकलकर सीधे महानगर के बड़े कॉलेज में दाखिला लेना ) पर आपने हमें अपने बचपन की एक फ्रेंडशिप कहानी बताई और आगे बैठने के लिए प्रेरित किया। आपसे पढ़कर बहुत अच्छा लगा। आप अपने शिष्यों के लिए एक अच्छी प्रोफेसर होने साथ-साथ एक बहुत अच्छी अभिभावक भी बन जाती हैं। बेटा ये बात , बेटा वो बात , बेटा क्या बात ( आप लगभग सभी बच्चों की वन ऑफ़ फेवरेट होंगी।
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सर हमें आपसे पढ़ने का सौभाग्य तो नहीं मिला अभीतक , पर सुना है कि आपके समझाने का तरीका बहुत अच्छा है। तैयारी, व्याख्या, प्रदर्शन, अवलोकन और निरीक्षण किसी भी कर्मचारी को नए कौशल सिखाने के पांच सोपान हैं , Sir you have above all qualities.
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Last year You , Fatima ma'am & Seema ma'am directed the play, Macbeth with us while donning the caps of scriptwriter, choreographer and everything else. The play was a huge success. The girls of the college are specially fans of you because you encourages them to take up parts in different functions .
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मैम आपने BA 1st Year में हमें इंग्लिश के सुप्रसिद्ध ज्ञाता Shakespeare द्वारा लिखित एक Sonnet ( Let me not to the marriage of the true minds ) पढ़ाया था उसका सार हमें अपने पूरे जीवनकाल प्रेरणा देगा। One of the best quality you have कि एक शिक्षक के रूप में आपकी शिल्पकारिता बहुत अच्छी है। Still I can remember that last year when Our English department had conduct a speech , you believed on me to perform and Coincidence I clenched 2nd Place & got a huge bless from all respected teachers. |
अमरदीप साहू ''दीप'' ( Railway Protection Force NCR )
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