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समाज निर्माण के सिक्के का एक पहलु स्त्री भी

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स्त्री   शक्ति   राष्ट्र   शक्ति   का   अभिन्न   अंग   होती   है   जिसे   सशक्त   और   शामिल   किये   बिना   कोई   भी   राष्ट्र   शक्तिशाली   नहीं   हो   सकता। महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता देने के क्रम में वर्तमान भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा महिलाओं को पुरुषों के बराबर अवसर प्रदान करने का प्रयास किया है जो सुरक्षा के पाँच पहलुओं पर आधारित एक व्यापक मिशन है। ये पाँच पहलू है- माँ एवं शिशु की स्वास्थ्य सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, वित्तीय सुरक्षा, शैक्षणिक एवं वित्तीय कार्यक्रमों के माध्यम से भविष्य की सुरक्षा तथा महिलाओं की सलामती। इस प्रकार हम पाते हैं कि जब भी राष्ट्र को सशक्त करने की बात आती है तो महिला सशक्तीकरण के पहलू को अनदेखा नहीं किया जा सकता। किसी संस्कृति को अगर समझना है तो सबसे आसान तरीका है कि उस संस्कृति में नारी के हालात को समझने की कोशिश की जाए। किसी भी देश के विकास संबंधी सूचकांक को निर्धारित करने हेतु उद्योग, व्यापार, खाद्यान्न उपलब्धता, शिक्षा इत्यादि के स्तर के साथ ही इस देश की महिलाओं की स्थिति का भी अध्ययन किया जाता है। नारी की सुदृढ़ एवं सम्मानजनक स्थिति एक उन्नत, समृ

टूटा नहीं है हौसला असफल हुआ तो क्या हुआ // Amardeep Sahu Deep //

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 टूटा नहीं है हौसला असफल हुआ तो क्या हुआ । कुछ देर सूरज बादलों ने ढक लिया तो क्या हुआ । जिस दीप की लौ से हजारों दीप अब तक जल गए, वो आँधियों से जूझ कर बुझ भी गया तो क्या हुआ । दोनों बराबर हमसफ़र छोटा बड़ा कोई नहीं, वो भी ग़लत मैं भी ग़लत फिर मैं झुका तो क्या हुआ । जो साथ रहकर साथ का अहसास दे पाया नहीं, उससे अलग होकर अकेला भी हुआ तो क्या हुआ । हरगिज़ न सर अपना झुकाया झूठ के आगे कभी, यदि 'सत्य' की खातिर हमारा सर कटा तो क्या हुआ ।

माँ की ममता // Maa ki mamta // Amardeep Sahu Deep //

 वो आधे घन्टे थोड़ा और सो लेने देती है।  बचपने की आड़ में, मेरी लापारवाही छुपा लेती है  जब रहता हूँ सहमा सा या बिमार सा,  तो अपनी गोदी में मुझे सुला देती है। भूखा ना होने पर भी एक रोटी और खिला देती है। जब उदासीनता घेरे होती थी मुझे,  तो बन कर दोस्त मेरी सब गम भुला देती है  ना जाने कितने त्याग कर मुझे जीना सिखा देती है रहे वो एक पल दूर हो जाय तो सूनेपन का मतलब बता देती है जब खाते थे पापा की डांट फटकार,  तो ले सारे दोष अपने सर,मुझे बचा देती है  मेरी एक फरमाइस पे वो क्या क्या बना देती है  लग जाये छोटी सी चोट तो घर सर पे उठा लेती है  जब होता था फेल परीक्षा में मैं, तो रात-रात भर जग मुझे पढ़ा देती है  घर लौटने पर मुझको वो अपनी दुनिया बना लेती है, और स्टेशन पर मुझे छोड़ते समय वो आँसू बहा देती है।  कैसे बताऊँ तुम सब को प्यार का अर्थ मैं  अगर तुम्हें  जिंदगी की भाग दौड़ में उस माँ की याद नहीं आती है.  वो माँ ही है जो मुझे प्यार का मतलब समझा जाती है।  वो माँ ही है जो थोड़ा और देर तक जग लेने देती है।  वो माँ ही है जो आधे घन्टे थोड़ा और सो लेने देती है। 

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