माँ की ममता // Maa ki mamta // Amardeep Sahu Deep //
वो आधे घन्टे थोड़ा और सो लेने देती है।
बचपने की आड़ में, मेरी लापारवाही छुपा लेती है
जब रहता हूँ सहमा सा या बिमार सा,
तो अपनी गोदी में मुझे सुला देती है।
भूखा ना होने पर भी एक रोटी और खिला देती है।
जब उदासीनता घेरे होती थी मुझे,
तो बन कर दोस्त मेरी सब गम भुला देती है
ना जाने कितने त्याग कर मुझे जीना सिखा देती है
रहे वो एक पल दूर हो जाय तो सूनेपन का मतलब बता देती है
जब खाते थे पापा की डांट फटकार,
तो ले सारे दोष अपने सर,मुझे बचा देती है
मेरी एक फरमाइस पे वो क्या क्या बना देती है
लग जाये छोटी सी चोट तो घर सर पे उठा लेती है
जब होता था फेल परीक्षा में मैं, तो रात-रात भर जग मुझे पढ़ा देती है
घर लौटने पर मुझको वो अपनी दुनिया बना लेती है,
और स्टेशन पर मुझे छोड़ते समय वो आँसू बहा देती है।
कैसे बताऊँ तुम सब को प्यार का अर्थ मैं
अगर तुम्हें जिंदगी की भाग दौड़ में उस माँ की याद नहीं आती है.
वो माँ ही है जो मुझे प्यार का मतलब समझा जाती है।
वो माँ ही है जो थोड़ा और देर तक जग लेने देती है।
वो माँ ही है जो आधे घन्टे थोड़ा और सो लेने देती है।
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