टूटा नहीं है हौसला असफल हुआ तो क्या हुआ // Amardeep Sahu Deep //
टूटा नहीं है हौसला असफल हुआ तो क्या हुआ । कुछ देर सूरज बादलों ने ढक लिया तो क्या हुआ ।
जिस दीप की लौ से हजारों दीप अब तक जल गए, वो आँधियों से जूझ कर बुझ भी गया तो क्या हुआ ।
दोनों बराबर हमसफ़र छोटा बड़ा कोई नहीं, वो भी ग़लत मैं भी ग़लत फिर मैं झुका तो क्या हुआ ।
जो साथ रहकर साथ का अहसास दे पाया नहीं, उससे अलग होकर अकेला भी हुआ तो क्या हुआ ।
हरगिज़ न सर अपना झुकाया झूठ के आगे कभी, यदि 'सत्य' की खातिर हमारा सर कटा तो क्या हुआ ।
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