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Showing posts from September, 2022

Unconditional Break from Virtual World

  Hey, guys, just a quick note to let you know that I’m taking a little break from social media, starting next week. If you think you might need to reach me, just send me a private message and I can let you know how to stay in touch. There is no any other option in my life besides to get success in life...  सपनों को देखा है तो उन्हें पाने के लिए संघर्ष भी करना पड़ेगा।।  मैं एक हारा, कमज़ोर, गिरा हुआ एवं निराशाओं से पीड़ित व्यक्ति हूं...मेरे पास कोई ऐसी विशेष प्रतिभा नहीं है जिससे मैं दुनियां को दिखा सकूं कि मैं भी किसी से कम नहीं। मैं सदैव अतीत में जीता हूं, वर्तमान मेरी पहुंच से दूर रहता है तथा उलूल-जुलूल बातें लिखना मेरी मुख्य पहचान है...!!! वक़्त किसी के पास नहीं है मगर जिंदगी के हर लम्हे को करीब से जीने को दिल चाहता है  यूँ ही कट जाएगा मुश्किलों का दौर भी वक़्त के साथ हमे जिंदगी के आईने में उतर जाने को दिल चाहता है। । दुःख और कुछ नहीं है.... सुखों को ढोते हुए बने घाव हैं.... इनकी पीड़ा तब महसूस होती है ,जब सुखों की बोरी उतरती है... और मनुष्य सहारा लेने को अपनी पीठ... वक़्त की दीवार

मोटिवेशनल कविता // Motivational Poem // #AmardeepSahuDeep

अ सफल हो गया था मैं अपने पहले प्रयास में  कुछ कमी आ गई थी तब मेरे आत्मविश्वास में  मैं डर गया था कि अब मुझसे नहीं हो पाएगा  मेरी  मंजिल  मेरा  सपना  अधूरा  रह  जाएगा लक्ष्य के पास होकर भी बहुत दूर खड़ा था मैं हार गया युद्ध जिसको जी-जान से लड़ा था मैं फिर से आंखें चमक पड़ी आशा की किरण छाई मेरे गम को मिटाने फिर एक सुनहरी सुबह आई लिया निर्णय एक बार फिर उतारूंगा मैदान में मंजिल  पाने को अपनी लगा दूंगा अपनी जान में एक दिन तो ऐसा आएगा मेरी मेहनत रंग लाएगी चलते चलते ही सही मंजिल तो मिल जाएगी कोई सपना अधूरा नहीं रहता अगर दिल में विश्वास हो  कोई मंजिल नहीं छूटती  अगर पाने का  प्यास हो आज से निर्णय ले लो तुमको लड़ना है जीवन में तुमको बढ़ता है जीवन में कुछ करना है जीवन में कांटे हो या पत्थर बिछे हो तेरी राहों में मंजिल की प्यास लेकर चल अपनी निगाहों में हार तेरी होगी लेकिन केवल तू नहीं हारेगा अपने संग संग तू उन लाखों सपनों को भी मारेगा जो तेरी राह में दिन रात आंखें बिछाए रहते है जो कहते हैं एक दिन मेरा बेटा आरएएस बनकर आएगा इंतजार कर रहे हैं मेरे अपने वह दिन कब आयेगा जिस  दिन  मेरा  बेटा  आरएएस  बन

संदेशवाहक // Poem // #AmardeepSahuDeep

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अ नगिनत चिडियाँ भोर की पलकें खुरचने लगीं कुछ मँडराती रही  पेडों के ईर्द-गिर्द कुछ खटखटाती रही दरवाज़ा बादलों का...। कुछ हवाओं संग थिरकती हुई गाने लगी गीत धूल में नहाई और  बारिश के संग बोने लगी जंगल...। कुछ चिड़ियों ने  तितलियों को चूमा मदहोश तितलियाँ  मलने लगी  फूलों पर अपना रंग अँखुआने लगा कल्पनाओं का संसार...। कुछ चिड़ियों के टूटे पंखों से लिखे गये प्रेम पत्रों की  खुशबू से बदलता रहा ऋतुओं की किताब का पृष्ठ...। हवाओं की ताल पर कुछ उड़ती चिड़ियों की चोंच में दबी सूरज की किरणें सोयी धरती के माथे को पुचकारकर कहती हैं उठो अब जग भी जाओ सपनों में भरना है रंग। चिड़ियाँ सृष्टि की  प्रथम संदेशवाहक है  जो धरती की  तलुओं में रगड़कर धूप भरती  है महीन शिराओं में चेतना का स्पंदन। --------- -श्वेता सिन्हा

स्वतंत्रता संग्राम में कवियों , शायरों और लेखकों का योगदान || हिन्दी दिवस || स्वतंत्रता आंदोलन

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स्वाधीनता आन्दोलन में साहित्य की भूमिका यह सभी जानते हैं कि 15 अगस्त 1947 को हमारा देश स्वतंत्र हुआ। यह हमारे राष्ट्रीय जीवन में हर्ष और उल्लास का दिन तो है ही इसके साथ ही स्वतंत्रता की खातिर अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों का पुण्य दिवस भी है। देश की स्वतंत्रता के लिए 1857 से लेकर 1947 तक क्रांतिकारियों व आन्दोलनकारियों के साथ ही लेखकों, कवियों और पत्रकारों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी गौरव गाथा हमें प्रेरणा देती है कि हम स्वतंत्रता के मूल्य को बनाये रखने के लिए कृत संकल्पित रहें।          प्रेमचंद की ‘रंगभूमि, कर्मभूमि’ उपन्यास, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का ‘भारत -दर्शन‘ नाटक, जयशंकर प्रसाद का ‘चन्द्रगुप्त, स्कन्दगुप्त‘ नाटक आज भी उठाकर पढि़ए देशप्रेम की भावना जगाने के लिए बड़े कारगर सिद्ध होंगे। वीर सावरकर की “1857 का प्रथम स्वाधीनता संग्राम” हो या पंडित नेहरू की ‘भारत एक खोज‘ या फिर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की ‘गीता रहस्य‘ या शरद बाबू का उपन्यास ‘पथ के दावेदार‘ जिसने भी इन्हें पढ़ा, उसे घर-परिवार की चिन्ता छोड़ देश की खातिर अपना सर्वस्व अर्पण करने के लिए स्वतंत्रता के महासम

कच्ची उम्र का पक्का प्यार || कहानी || AmardeepSahuDeep

  ए क नाम सुनते ही अचानक से दूसरी दुनिया में खो सी गई थी रिया। कॉलेज की जिंदगी का आखि‍री साल था, और गर्मी की सुबह पेपर देने जाते वक्त पुराने दिनों की याद उसे हमेशा की तरह आ ही गई थी । जब वह किशोरावस्था की चौखट पर जा कर खड़ी ही थी , उसे अपने रंग रूप पर थोड़ा -थोड़ा गुमान होने लगा था । उसकी उम्र से कुछ साल बड़े युवा लड़कों की निहारती आंखें, उसे इतना तो बता ही चुकी थी कि वह खूबसूरत है। जब भी वह कहीं जाती , लोग भीड़ में भी उसे निहारते.... कभी-कभी वह भी मन ही मन इतराती , तो कभी गंदी निगाहों से खुद को बचाती । लेकिन उसका मन कहीं जा कर अटका हो , ऐसा तो अब तक नहीं हुआ था । नजरें टिकी न थी किसी पे, पर नजरें कमाल थी सब ताकते थे उसको , वो बेमिसाल थी  एक रात चाची के घर बै ठ कर टीवी देख रही थी , उसी वक्त दरवाजे पर कोई आया था। दरवाजा खुला हुआ था। रिया ने झांक कर देखा, तो बाहर कोई रिश्तेदार या चाची का कोई जानने वाला बाहर दरवाजे पर खड़ा था। चाची ने उन्हें अंदर बुलाया। रिया को इस बात से कोई मतलब नहीं था , कि घर में कौ न आया है। उसे तो बस अपने फ़ेवरेट सीरियल दिया और बाती हम   देखने से म तल ब था, जो वह बड

Mujhe Banna Hai UPSC Topper/ मुझे बनना है UPSC टॉपर by Nishant Jain IAS

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  मुझे बनना है UPSC टॉपर by निशांत जैन  Sir Book PDF Download Mujhe Banna hai UPSC Topper Book PDF Download: अगर आप भी UPSC की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और आप चाहते हैं की आप कोई ऐसी बुक मिल जाये जिससे आपका अच्छा मार्गदर्शन हो सके तो आप बिलकुल सही स्थान पर हो. दोस्तों बहुत से Students का सपना होता है की वो भी UPSC के exams में Topper बने उसका भी नाम हो और एक अच्छी सिविल सर्विस उसको मिले. लेकिन बहुत बार उनको अच्छी guidance नहीं मिल पाने के कारण उनका ये सपना पूरा नहीं हो पाता है. तो दोस्तों ऐसे students के लिए हम आज एक बहुत ही अच्छी बुक का PDF लेकर आये हैं. जिसका नाम है मुझे बनना है UPSC टॉपर ये बुक IAS टॉपर निशांत जैन द्वारा लिखी गयी है. और उन्होंने आईएस में हिन्दी माध्यम से टॉप किया है. तो मुझे लगता है आपको ये बुक एक बार ज़रूर पढ़नी चाहिये. आप सभी आप इसका PDF नीचे दिए गए Download Button के माध्यम से Download कर सकते है. इस बुक में आपको क्या क्या पढ़ने और सीखने को मिलेगा उसकी हमने यहाँ एक लिस्ट बना दी है. ये लिस्ट आप सभी के लिए उपयोगी साबित होगी. ये बुक specially UPSC की तैयारी करने वाल

बन DySP लौटूँगा // motivational poem // UPSC, UPPCS, CSE #AmardeepSahuDeep

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आना-जाना छोड़ चुके पर्वों से नाता तोड़ चुके रखकर पत्थर अपने दिलों पर  घर से मुखड़े मोड़ चुके  किसका दिल करता है यारो  घर का सुख-चैन गँवाने को  फिर भी घर हम छोड़ आये हैं  जीवन सफल बनाने को  नैन में मां के बसता सपना  मैं अब काबिल बन जाऊं  कर-कर चिंता बूढ़ी हो गयी  कभी तो खुशियाँ दिखलाऊं बाप से मेरे चला न जाता  फिर भी काम को जाता है  मेरा खर्चा भिजवाने को रोज़ कमाकर लाता है  छत वो घर की टपक रही है  जिसके नीचे सोते हैं  जब-जब बाहर हुआ मेरिट से  मुझसे ज्यादा रोते हैं  पता है मुझको, पता है रब को  मेहनत में मेरी कमी नहीं  वो जीवन भी क्या जीवन  जिसमें किस्मत से ठनी नहीं  माना चलती कठिन परीक्षा  मेहनत मेरा हथियार है  गुरुओं से लेकर दीक्षा  अर्जुन रण को तैयार है  सब्र का मईया। बाँध न टूटे  गला किस्मत का घोटूँगा  चन्द महीने बाकी हैं बस  बन DySP लौटूँगा  ........ 

तारीख, फूल और तुम ।। Frdshp Poem ।। #AmardeepSahuDeep

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अ क्सर जिनसे हमारे दिल मिल जाते हैं  उनसे हम नहीं मिल पाते  जैसे किसी महीने की आखिरी तारीख नहीं मिल पाती अपने करीबी महीने की पहली तारीख से मिलने और बिछड़ने की दो तारीख़ों के बीच अटका हुआ एक रिश्ता  अकातर  अपूर्ण धूमकेतु सा ब्रह्मांड में तैर रहा है… ….रहेगा। और मुझसे टकराता रहेगा;बनके “धूप” “दर्पण” और कभी-कभी “तुम” मिलेंगे जब भी कभी किसी बंजर रेगिस्तान के मोड़ पर भरी हुयी आँखें फिर डबडबाकर छलक जायेंगी  और खिलेगा वो फूल जो अपने समय में नहीं खिल पाया था ।।                                                                                                                                                                        -- अमरदीप साहू "दीप"

तारीख, फूल और तुम ।। अमरदीप साहू "दीप"।। #AmardeepSahuDeep

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अ क्सर जिनसे हमारे दिल मिल जाते हैं  उनसे हम नहीं मिल पाते  जैसे किसी महीने की आखिरी तारीख नहीं मिल पाती अपने करीबी महीने की पहली तारीख से मिलने और बिछड़ने की दो तारीख़ों के बीच अटका हुआ एक रिश्ता  अकातर  अपूर्ण धूमकेतु सा ब्रह्मांड में तैर रहा है… ….रहेगा। और मुझसे टकराता रहेगा, बनकर “धूप” “दर्पण” और कभी-कभी “तुम” मिलेंगे जब भी कभी किसी बंजर रेगिस्तान के मोड़ पर भरी हुयी आँखें फिर डबडबाकर छलक जायेंगी  और खिलेगा वो फूल जो अपने समय में नहीं खिल पाया था ।।                     -- अमरदीप साहू "दीप"

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