मोटिवेशनल कविता // Motivational Poem // #AmardeepSahuDeep

सफल हो गया था मैं अपने पहले प्रयास में 

कुछ कमी आ गई थी तब मेरे आत्मविश्वास में 

मैं डर गया था कि अब मुझसे नहीं हो पाएगा 

मेरी  मंजिल  मेरा  सपना  अधूरा  रह  जाएगा

लक्ष्य के पास होकर भी बहुत दूर खड़ा था मैं

हार गया युद्ध जिसको जी-जान से लड़ा था मैं


फिर से आंखें चमक पड़ी आशा की किरण छाई

मेरे गम को मिटाने फिर एक सुनहरी सुबह आई

लिया निर्णय एक बार फिर उतारूंगा मैदान में

मंजिल  पाने को अपनी लगा दूंगा अपनी जान में

एक दिन तो ऐसा आएगा मेरी मेहनत रंग लाएगी

चलते चलते ही सही मंजिल तो मिल जाएगी


कोई सपना अधूरा नहीं रहता

अगर दिल में विश्वास हो 

कोई मंजिल नहीं छूटती 

अगर पाने का  प्यास हो


आज से निर्णय ले लो तुमको लड़ना है जीवन में

तुमको बढ़ता है जीवन में कुछ करना है जीवन में

कांटे हो या पत्थर बिछे हो तेरी राहों में

मंजिल की प्यास लेकर चल अपनी निगाहों में


हार तेरी होगी लेकिन केवल तू नहीं हारेगा

अपने संग संग तू उन लाखों सपनों को भी मारेगा

जो तेरी राह में दिन रात आंखें बिछाए रहते है

जो कहते हैं एक दिन मेरा बेटा आरएएस बनकर आएगा


इंतजार कर रहे हैं मेरे अपने वह दिन कब आयेगा

जिस  दिन  मेरा  बेटा  आरएएस  बनकर  आयेगा

मां  की  आंखों  का  तारा  पिता  का  प्यारा  बेटा

तुझे  बनना  है  लाखों  बेसहारों  का  सहारा  बेटा


अब सोना छोड़ दे ख्वाबों के लिए 

उठ कर बैठ जा किताबों के लिए

ख्वाबों को किताबों के पन्नों से जोड़ 

रातों की नींदें और सपनों को छोड़

अपने सपनों को कर ले तू पूरा

कोई भी मंजिल रहे ना अधूरा

सपने तो सच होंगे तुम्हारे

चमकेंगे कंधों पे तेरे सितारे

मंजिल पुकार रही है तुझको अब तो तेरी बारी है 

मृत्यु से डर नहीं लगता है मौत से अपनी यारी है

अभी हार नहीं मानी है युद्ध अभी तो जारी है

जीत का जश्न मनाएंगे ऐसी अपनी तैयारी है


अस्त्र-शस्त्र हैं साथ तुम्हारे किस बात की कमी है 

क्यों कदम तेरे रुके हुए हैं क्यों तेरी गति थमी है

क्या दिख नहीं रहे हैं तुझको आसमां के सितारे

क्या सुनाई नहीं दे रही तुझको मंजिल की पुकारे

दिल में मंजिल की चाहत और आंखों में नमी है 

अस्त्र-शस्त्र हैं साथ तुम्हारे किस बात की कमी है 


भोर हो गई है सूरज निकल रहा है 

अंधेरा कट रहा है वक्त बदल रहा है

 मैं तो उस मंजिल का मुसाफिर हूं

 जो अपनी मंजिल की तलाश में 

अनवरत चल रहा है


भूगोल भी है इतिहास भी है 

अपनों को मुझसे आस भी है

किताबों पर मुझको विश्वास भी है

आंखों में मंजिल की प्यास भी है

अब उसको पाना है जो जीवन में लक्ष्य है 

यह कुछ और नहीं मेरा अध्ययन कक्ष है..

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