आँखों का पानी
वही प्यास के अनगढ़ मोती वही धूप की सुर्ख़ कहानी वही आँख में घुट कर मरती ऑंसू की ख़ुद्दार जवानी हर मोहरे की मूक विवशता चौसर के खाने क्या जानें हार-जीत ये तय करती है आज कौन-से घर ठहरेंगे फिर क्यों है आँखों में पानी जीत गये तो घर जाओगे हार मिली तो सीखोगे