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मेरी डायरी में तेरी याद #AmardeepSahuDeep

अक्सर जब मैं अकेला होता हूँ, पुरानी यादों की किताब का वो पन्ना जो समय की गहराई में कहीं दब गया था अचानक से फड़फड़ाने लगता है। फिर सोचता हूँ कि लिखूँ तुम्हे एक नई कविता में, पर क्या लिखूँ। मेरे गमों पर लगाये गये तुम्हारी दोस्ती के मरहम को लिखूँ या समय के परिवर्तन से अपनी ज़िंदगी के श्रीगणेश को लिखूँ। तुम्हारी दोस्ती को चंद शब्दों में पिरोना मुझसे होता ही नहीं। मैंने दोस्ती को किसी पैरामीटर में मापना उचित समझा ही नहीं।। हाँ, तुम्हे अपनी डायरी की तमाम कविताओं में संजोंकर रखा है उसमें तुम्हारे नामों की संज्ञा और रूपों का प्रकार हर बार अलग है। तुम केसर सी खुसबू वाली हो, मैं रेशा-रेशा तुममे खुलने की कोशिश करता हूँ। जब तुम मुझे छोड़कर जाने लगती हो तो मेरे अन्दर मन्द-मन्द खुसबू बाकी रह जाती है। तुम समुंदर सी विशाल आँखें तेरी कमाल गाल हैं लाल-लाल, कभी कभी सोचता हूँ तुमसे इश्क कर लूँ पर मन में उठते हैं कई सवाल खामोश हो जाता हूँ ज़ुल्फें तेरी कातिल, सुमधुर हैं तेरे गीत  , अदाएं हैं तेरी मोहने वाली दिल लेतीं सबका जीत तुमसे हमेशा रखने वाली दोस्ती का वादा करता हूँ क्योंकि तुम्हे खोने से डरता

वक़्त और अपने

ख़ुद में बने कर वक़्त बिताओ तो अच्छा है, ख़ुद का परिचय ख़ुद से कराओ तो अच्छा है .. इस दुनिया की भीड़ में चलने से तो बेहतर, ख़ुद के साथ में घूमने जाओ तो अच्छा है .. अब अपने घर की रोशन दीपक देखने के लिए। , ख़ुद के अन्दर दीप जलाओ तो अच्छा है .. तेरी, मेरी इसकी उसकी छोडो भी अब, ख़ुद से ख़ुद की शक्ल मिलाओ तो अच्छा है .. बदन को महकाने में सारी उम्र काट ली, रूह को अब अपनी महकाओ तो अच्छा है .. दुनिया भर में घूमने के लिए जी भर के, अब वापस ख़ुद में लौट के आओ तो अच्छा है ।। तन्हाई में खमोशी के साथ बैठ कर, ख़ुद को ख़ुद की ग़ज़ल सुनाओ तो अच्छा है..❜

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