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स्वार्थ की सीमाओं से परे होता है सच्चा प्रेम

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आज की कहानी हमारे अज़ीज मित्र प्रेम  ( MD. at Prem Restaurant Kalpi ) और उनकी संगिनी सीमा ( Manager at BOB , Barra Kanpur ) को समर्पित है  ............ प्रेम सोते-जागते, उठते-बैठते, हरदम सीमा के ख्वाबों में डूबा रहता था। वह बड़ी मुश्किल से सीमा का दिल जीत पाया था। प्रेम अपने माँ-बाप, घर-परिवार किसी भी बात की कोई चिन्ता नहीं करता था, जबकि सीमा चाहती थी कि प्रेम अपने कॅरियर और परिवार पर भी ध्यान दे।  प्रेम यह बात समझने को तैयार ही नहीं था। वह ऑफिस में रहकर भी सीमा के बारे में ही सोचता रहता या फिर घंटों फोन पर उससे बातें करता। सीमा उसे ऐसा करने से मना करती, लेकिन वह नहीं मानता था। अनुशासनहीनता के चलते वह तीन स्थानों से नौकरी गँवा चुका था, लेकिन इसका भी उसे कोई गम नहीं होता था।  बार-बार नौकरी से निकाले जाने के कारण उसे अच्छी नौकरी भी नहीं मिल रही थी। एक बार प्रेम ने अपने खून से 'आई लव यू' लिखे कई पत्र सीमा को भेंट करते हुए अपना हाथ दिखाया जिस पर उसने सीमा का नाम गोद लिया था। यह सब देखकर सीमा गुस्से से चिल्लाई- यह सब क्या है? क्या तुम यह समझते हो कि ऐसा करके किसी भी लड़की को प्रभावित

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