एक पिंजरा
हाँ आऊँगी मैं रोज लेट बस....एक दिन लेट क्या हो गई घर सर पर उठा लिया.....
#Amardeepsahudeep
#amardeep #sahu #deep
बेटा मैं तो बस इत्ता कह रहा था कि...बस अब्बू अब कुछ नही सुनना मुझे तंग आ गई इस रोज रोज की खिटपिट से.....मुझे अपने पिंजरे की चिड़िया न समझना...कि कैद में रखोगे ।
और इसके बाद दोनों तरफ ख़ामोशी छा गई.....बिटिया पैर पटकते हुए बाहर वाले कमरे में चली गयी और अरशद मियां वहीं आँगन में बैठ के अपने बनाए पिंजरों को देखने लगे...अरशद मियां पक्षियों के लिए पिंजरे बनाया करते थे....आज वो याद कर रहे थे रौशनी की अम्मी को..कि वो होती तो समझाती बिटिया को कि मैं तो बस पूछ रहा था देर कहाँ हो गयी क्यों हो गई..
और इसके बाद दोनों तरफ ख़ामोशी छा गई.....बिटिया पैर पटकते हुए बाहर वाले कमरे में चली गयी और अरशद मियां वहीं आँगन में बैठ के अपने बनाए पिंजरों को देखने लगे...अरशद मियां पक्षियों के लिए पिंजरे बनाया करते थे....आज वो याद कर रहे थे रौशनी की अम्मी को..कि वो होती तो समझाती बिटिया को कि मैं तो बस पूछ रहा था देर कहाँ हो गयी क्यों हो गई..
बाप हूँ चिंता तो होगी न...... बिटिया अब बड़ी भी हो चली है और जमाना तो......।
पर आज उसने मुझे अहसास दिलाया कि मेरी परवाह उसके लिए बंदिश है ।
बिटिया अंदर आई और किचन में घुस गयी उसे भूख लगी थी उसने खाना निकाला और फिर बाहर वाले कमरे में चली गयी....अरशद मियां भी रूम में गये और बोले बेटा मैं....बिटिया ने अबकी बार कुछ नही कहा बस एक बार गुस्से से देखा और फिर खाने लगी...बेटा हर पिंजरे का मकसद बंधन नहीं होता, चिड़िया को हम पालना चाहे , उसे दुलार करना चाहे तब भी हमे पिंजरे की जरूरत होती है..... पिंजरा चिड़ियों और तोतों को कुत्तों , बिल्लियों से भी तो बचाता है.....
पर आज उसने मुझे अहसास दिलाया कि मेरी परवाह उसके लिए बंदिश है ।
बिटिया अंदर आई और किचन में घुस गयी उसे भूख लगी थी उसने खाना निकाला और फिर बाहर वाले कमरे में चली गयी....अरशद मियां भी रूम में गये और बोले बेटा मैं....बिटिया ने अबकी बार कुछ नही कहा बस एक बार गुस्से से देखा और फिर खाने लगी...बेटा हर पिंजरे का मकसद बंधन नहीं होता, चिड़िया को हम पालना चाहे , उसे दुलार करना चाहे तब भी हमे पिंजरे की जरूरत होती है..... पिंजरा चिड़ियों और तोतों को कुत्तों , बिल्लियों से भी तो बचाता है.....
शायद तुम समझ रही होगी मैं क्या कहना चाह रहा हूँ.... मुझे नही समझना और ये कह कर वो बाहर निकल गयी पडोस में....।
2 घंटे बाद जब आई तो उसने देखा अब्बू पिंजरा बना रहे थे वो रसोईघर से अब्बू के लिए खाना लाई और बोली अब्बू अब खाना खा लो तुमने दिन भर से खाया नहीं आज.....
2 घंटे बाद जब आई तो उसने देखा अब्बू पिंजरा बना रहे थे वो रसोईघर से अब्बू के लिए खाना लाई और बोली अब्बू अब खाना खा लो तुमने दिन भर से खाया नहीं आज.....
तुझे कैसे पता बेटा....
मुझे पता है तुम मेरे साथ ही खाते हो और दिन में मैं गुस्से में अकेले ही खा कर चली गयी ।
और एक बात और मुझे ये कुत्ते बिल्ली तोते वाली कहानी न सुनाया करो सब अक्ल है मुझमें,...बड़ी हो गयी हूँ...वो तो गुस्सा इसलिए हो जाती हूँ ताकि तुमको पता न चले कि मैं बड़ी हो गयी हूँ ....ये कहकर वो अब्बू की तरफ देखती है दोनों हँस पड़ते हैं।
वो अपने हाथ से अब्बू को खिलाने लगती है और खाना ख़त्म होते होते अरशद की आँखे नम हो जाती हैं जिसे वो.... खाने में मिर्च ज्यादा है कहकर छुपा लेता है।
फिर वो बिटिया से कहता है अच्छा पास वाले मैदान में मेला लगा है ये ले रूपये और जा खुशबू के साथ घूम आ...... और सुन बेटा एक बात और....
और एक बात और मुझे ये कुत्ते बिल्ली तोते वाली कहानी न सुनाया करो सब अक्ल है मुझमें,...बड़ी हो गयी हूँ...वो तो गुस्सा इसलिए हो जाती हूँ ताकि तुमको पता न चले कि मैं बड़ी हो गयी हूँ ....ये कहकर वो अब्बू की तरफ देखती है दोनों हँस पड़ते हैं।
वो अपने हाथ से अब्बू को खिलाने लगती है और खाना ख़त्म होते होते अरशद की आँखे नम हो जाती हैं जिसे वो.... खाने में मिर्च ज्यादा है कहकर छुपा लेता है।
फिर वो बिटिया से कहता है अच्छा पास वाले मैदान में मेला लगा है ये ले रूपये और जा खुशबू के साथ घूम आ...... और सुन बेटा एक बात और....
हाँ हाँ पता है टाइम से घर आ जाना यही न.....और वो हँस कर बाहर निकल गई...।।
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