वक़्त और अपने
ख़ुद में बने कर वक़्त बिताओ तो अच्छा है, ख़ुद का परिचय ख़ुद से कराओ तो अच्छा है .. इस दुनिया की भीड़ में चलने से तो बेहतर, ख़ुद के साथ में घूमने जाओ तो अच्छा है .. अब अपने घर की रोशन दीपक देखने के लिए। , ख़ुद के अन्दर दीप जलाओ तो अच्छा है .. तेरी, मेरी इसकी उसकी छोडो भी अब, ख़ुद से ख़ुद की शक्ल मिलाओ तो अच्छा है .. बदन को महकाने में सारी उम्र काट ली, रूह को अब अपनी महकाओ तो अच्छा है .. दुनिया भर में घूमने के लिए जी भर के, अब वापस ख़ुद में लौट के आओ तो अच्छा है ।। तन्हाई में खमोशी के साथ बैठ कर, ख़ुद को ख़ुद की ग़ज़ल सुनाओ तो अच्छा है..❜