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सूर्योदय से पहले ही क्यों दी जाती है फांसी

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क्या आप जानते हैं कि अपने देश में सूर्योदय से पहले ही क्यों दी जाती है फांसी ? ⤵⤵ कानून लोगों को उनके जुर्म के अनुसार सज़ा सुनाता है. हमारे देश में मौत की सज़ा सबसे बड़ी सज़ा मानी जाती है. कई लोग इस सज़ा का विरोध भी करते रहे हैं. पर बात ये नहीं है कि ये सज़ा सही है या गलत? हम आज बात कर रहे हैं फांसी की सज़ा से जुड़ी कुछ बातों की. फांसी की सज़ा होते, हम सबने बस बॉलीवुड की फिल्मों में ही देखा होगा. आपने देखा होगा कि फांसी की सज़ा होते वक़्त वहां गिनती के लोग ही मौजूद होते हैं. उन लोगों में एक तो फांसी देने वाला ज़ल्लाद होता है, कैदी की स्वास्थ्य जांच करने वाला एक डॉक्टर होता है, एक न्यायाधीश या उनके द्वारा भेजा गया कोई प्रतिनिधि और पुलिस के कुछ अधिकारी होते हैं. नियम ये भी है कि फांसी खुले आम नहीं देनी है, ये कुछ बंद दीवारों के बीच ही होती है, जहां चुनिन्दा लोगों के अलावा कोई और नहीं होता. लेकिन सबसे आश्चर्य की बात तो ये है कि आख़िर गुनहगारों को फांसी सूर्योदय के पहले ही क्यों सुनाई जाती है? जी नहीं! ये महज़ एक इत्तिफ़ाक नहीं है, ये अनुदेशित है कि फांसी की सज़ा सुबह ही होनी चाहिए. आइये आपको बताते ...

SIX LOGICAL UNITS OF A COMPUTER

Input Unit Data and instructions must enter the computer system before any computation can be performed on the supplied data. The input unit that links the external environment with the computer system performs this task. Data and instructions enter input units in forms that depend upon the particular device used. For example, data is entered from a keyboard in a manner similar to typing, and this differs from the way in which data is entered through a mouse, which is another type of input device. However, regardless of the form in which they receive their inputs, all input devices must provide a computer with data that are transformed into the binary codes that the primary memory of the computer is designed to accept. This transformation is accomplished by units that called input interfaces. Input interfaces are designed to match the unique physical or electrical characteristics of input devices to the requirements of the computer system. In short, an input unit performs the fol...

Computer/Important Excel Shortcuts

Important Excel Shortcuts Ctrl + P Used to open the print dialogue window Ctrl + N Creates a new workbook Ctrl + S Saves the current workbook Ctrl + C Copy contents of current select Ctrl + V Paste data from the clipboard SHIFT + F3 Displays the function insert dialog window SHIFT + F11 Creates a new worksheet F2 Check formula and cell range covered Ctrl +F2 Open Print Preview Window Ctrl+F4 Close Current Workbook Ctrl +F1 Expand or Collapse Ribbon Alt+F1 Create Embedded Chart F11 Create Chart in New Worksheet Ctrl+T Insert Table Shift+Space Select Table Row Ctrl+Space Select Table Column Alt+PgDn Move One Screen Right Alt+PgDn Move One Screen Left PgUp Move One Screen Up PgDn Move One Screen Down Ctrl+Home Move to first cell in worksheet Alt+ Enter To Write in Same Cell Feel fr...

मेरी प्यारी चश्मिश नयना

"ये पोस्ट मेरी दोस्त को समर्पित है"   च श्मिस 👓 कॉलेज शुरू हो चुका था। और नये-नये चेहरे देखने को मिल रहे थे। उन्हीं मे से एक चेहरा उसका भी है।  जिसका नाम नयना था ..खूबसूरत तो नहीं कहूँगा मगर बेहद ही क्यूट सी थी वह। उसकी आँखों में दूरबीन की भाँति एक चश्मा था, और आपको तो पता ही है कि चश्मिश लड़कियां बेहद क्यूट दिखती हैं और उसकी क्यूटनेस मे चार चाँद लगाती है उसकी खूबसूरत मुस्कुराहट, जो उसके होंठों पे हमेशा रहती थी वह B.Sc. की प्रथम वर्ष की छात्रा थी, दो-तीन दिनों तक नयना के नैनों की तरफ देखने पर उसकी एक और ख़ास अदा से वाकिफ़ हुआ कि वह चश्मा पूरा सटाकर नहीं पहनती थी, अक्सर थोड़ी नीचे ही रहता था। एक दिन  ऐसे ही वह अपने नये दोस्तों के साथ कक्षा  की ओर आ रही थी कि एक लड़का नयना को देखकर उँगली से कुछ इशारा करता है। नयना देखकर नजर-अंदाज करके निकल जाती है मगर उसकी सहेलियां पूछती हैं  की वह पागल क्या इशारा कर रहा था अपनी उँगली से.. नयना- अरे छोड़ न, ऐसी बातों पर ध्यान नहीं देते मगर मुझे भी पता नहीं क्या इशारा कर रहा था, कॉलेज में हर दिन वह लड़का जब भी नयना को देखता, मुस...

असहिष्णु होता भारतीय समाज

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                           असहिष्णु होता भारतीय समाज       📖📖  ⬇ 📖📖 एक कन्नड़ पत्रकार गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यद्यपि हत्या अपने आप में एक संगीन आपराधिक कृत्य तो है ही साथ ही यह आरोप कि बहुसंख्यक मत से अलग राय रखने के कारण उनकी हत्या की गई, इसे और भी संगीन बना देता है। यह अपने आप में कोई अकेली घटना नहीं है बल्कि इसकी एक  शृंखला रही है। नरेंद्र दाभोलकर, गोविद पनसारे, कलबुर्गी इत्यादि लोगों की हत्या के पीछे भी वैचारिक भिन्नता को कारण बताया जाता रहा है। फिर गोमाँस सेवन के अफवाह में अखलाक की हत्या भी इसी का एक उदाहरण था। इस प्रकार यह आरोप मज़बूत हो जाता है कि भारतीय समाज असहिष्णु होता जा रहा है। #क्या है असहिष्णुता ? असहिष्णुता यानी एक पक्ष द्वारा अपने से भिन्न पक्षों के विचार सुने या समझे बिना ही न सिर्फ उन्हें खारिज़ करना, बल्कि उनकी उपस्थिति को सहन करने से भी इनकार कर देना। समाज सिर्फ एकसमान विचारों एवं रुचियों वाले व्यक्तियों से ही मिलकर नहीं बनता है, बल्क...

Amardeep Sahu Deep: निजता का मुद्दा और भारत के निगरानी कानून

Amardeep Sahu Deep: निजता का मुद्दा और भारत के निगरानी कानून : निजता का मुद्दा और भारत के निगरानी कानून           ����⤵⤵ संदर्भ              ♻   Amardeepsahudeep  ♻                official youtube c... Amardeep Sahu Deep

निजता का मुद्दा और भारत के निगरानी कानून

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निजता का मुद्दा और भारत के निगरानी कानून           📖📖⤵⤵ संदर्भ              ♻   Amardeepsahudeep  ♻                official youtube channel ⤵⤵ ⤵⤵ कुछ समय पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया, जिसमें 10 सरकारी खुफिया एजेंसियों को किसी के भी कंप्यूटर डेटा पर निगरानी रखने यानी उसे खंगालने का अधिकार दिया गया है। केंद्र सरकार का कहना है कि यह कोई नया आदेश नहीं है, बल्कि IT (Procedure and Safeguards for Interception, Monitoring and Decryption of Information) Rules 2009 में इसका पहले से ही प्रावधान है। IT अधिनियम की धारा 69 की उपधारा (1) के तहत अगर एजेंसियों को ऐसा लागता है कि कोई व्यक्ति या संस्था देशविरोधी गतिविधियों में शामिल हैं तो वे उनके कंप्यूटरों में मौज़ूद डेटा को खंगाल सकती हैं और उन पर कार्रवाई कर सकती हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या भारत में प्रचलित निगरानी कानून निजता के लिये खतरा हैं? सुप्रीम कोर्ट ने तय किया था निजता पैमाना पिछले वर...

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