Pinzra 1


हाँ आऊँगी मैं रोज लेट बस....एक दिन लेट क्या हो गई घर सर पर उठा लिया.....
बेटा मैं तो बस इत्ता कह रहा था कि...बस अब्बू अब कुछ नही सुनना मुझे तंग आ गई इस रोज रोज की खिटपिट से.....मुझे अपने पिंजरे की चिड़िया न समझना...कि कैद में रखोगे ।
और इसके बाद दोनों तरफ ख़ामोशी छा गई.....बिटिया पैर पटकते हुए बाहर वाले कमरे में चली गयी और अरशद मियां वहीं आँगन में बैठ के अपने बनाए पिंजरों को देखने लगे...अरशद मियां पक्षियों के लिए पिंजरे बनाया करते थे....आज वो याद कर रहे थे रौशनी की अम्मी को..कि वो होती तो समझाती बिटिया को कि मैं तो बस पूछ रहा था देर कहाँ हो गयी क्यों हो गई........................
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