यूपीएससी का दर्द / Problems in UPSC

#यूपीएससी_का_दर्द



यूपीएससी का रिजल्ट आया है। कैमरे लग चुके हैं। टोपर्स के घर टीवी चैनलों की छापेमारी शुरू हो चुकी है। उनकी सफलता का राज जानने के लिए। वो भी अपने घर के सादे से ड्राइिन्ग रूम में इन्टरव्यू देते हुए 'कन्सिस्टेंसी और फण्डामैन्टल्स' पर ध्यान देने को सफलता का मूल बताएंगे। और हाँ फैमिली को बडा सा थैंक्यू कहेंगे सपोर्ट के लिए। फिर शुरू होगा देशभर में इनसे प्रेरणा लेकर फटाफट ऐनसीआरटी की किताबें खरीदने का दौर। आत्मविशवास के उबाल आयेंगे। कुछ कर गुजर जाने के जज्बे जोर मारेंगे। फिर कयीं लौंडे दिल्ली कूच करेंगे। और सबसे पहले दाढ़ी न कटवाने का प्रण लेगें। मुखर्जीनगर अब जोश से लबरेज हो जायेगा। इश्कबाजी और फेसबुक से जरा परहेज। फिर एकसाल की जी तोड़ मेहनत के बाद कुछ का लिस्ट में नाम आयेगा और कुछ घटी हुई ऐनर्जि और बढी हुई फ्रस्टेशन के साथ दिल्ली में अपनी बुकिंग जारी रखेंगे। यूपीएससी की रगडमपेलिस में आपकी बढी हुई बेतरतीब दाढ़ी ही आपकी सिन्सेयरिटी का परिचायक होती है। फ्रस्टेशन उम्र और दाढ़ी तीनों बढ़ती जाती हैं। फिर पीछे से कोई तीन चार साल वाला जूनियर लौंडा पहले ही अटेम्प्ट में ठीक ठाक रैंक पेल देता है तब फ्रस्टेशन का इन्डेक्स एक अंक और उपर खिसक जाता है। जीवन में आध्यात्म की ऐंट्री होने लगती है। पैसे की तंगी दोहरी मार करती है दिल्ली जैसे चमकदार शहर में। दुनियाभर की जियोग्राफी और पोलिटी अंदर ही अंदर जोर मारती है। लौंडे विरक्त होने लगते हैं दुनियादारी से। और फिर शुरू होता है दिल्ली की गलियों से पलायन। एक सपने के पीछे एक उम्र खप जाती है। और फिर हम दाढ़ी साफ करके यूपीएससी के तिलिस्म को तोड़ इधर उधर सेट हो जाते हैं। मैं चाहता हूँ टीवी पर एक इंटरव्यू इस तरह से थके हुए बुझे हुए लेकिन मेहनती पलायनवादियों का भी जरूर होना चाहिए इस यूपीएससी की संध्या पर। सिर्फ टोपर्स ही सब जानते हों एैसा नही।  


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