मेहनत और मशक्कत // Amardeep Sahu Deep

"मशक़्क़त"

मेहनत भी पूरी मशक्कत से हो तो फल मिलता है। हम हमारे थकने तक के सफर को हमारी मेहनत की पराकाष्ठा मान लेते है। इसी धरती पर सौ मीटर दौड़ कर हाँफने वाले भी मिल जायेंगे और पचास किलोमीटर की मैराथन रेस  दौड़कर भी चेहरे पर मुस्कुराहट कायम रखने वाले भी मिल जायेंगे।

हमारी कल्पनाओं ने जितनी जमीन मापी है हमारा सफर उससे बस एक इंच आगे नहीं जाना चाहता है। उसके आगे ताकत होते हुए भी हम स्वयं को थका हुआ पायेंगे। अपनी दृढ़ता, मेहनत, लगन और प्रतिबद्धता को आम भीड़ से अलग स्तर पर ले जा कर स्थापित करो।

आपकी सफलता की राह में सबसे बड़ा रोड़ा दुनियां के लोग नहीं बनेंगे। आपकी दुर्बल भावनाएं आपकी दौड़ का दायरा घटा देगी। सारी दुनियां आपको हारा हुआ मान ले लेकिन आपका मंतव्य ऐसा नहीं है तो जल्दी ही दुनियां को आपके प्रति बनाई धारणा बदलनी पड़ेगी।

बेशक बड़े इरादों के लिए चुनाैतियाँ भी बड़ी ही होगी। हर व्यक्ति के लिए सफलता की अपनी स्वयं की परिभाषा है। आपकी परिभाषा दूसरे से अक्षरश: कभी नहीं मिलेगी। आपके भीतर सफलता की भूख की तीव्रता भी अलग स्तर की होगी।

मेहनत और मशक्कत में अंतर है। बड़ी कामयाबियों के लिए आपके अरमान भरे दिल की धड़कनों में अगर
कोई ऊँची उड़ान भरने का सपना है तो दुनियादारी की तानेबाजी और उनकी नावाकिफ़ियत को भूलकर अपनी मशक्कत में कोई कमी मत रखो। अच्छे परिणामों का आना तय है।


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