उम्मीद का बसन्त - अमरदीप साहू दीप
लाख उजड़ा हो चमन
एक कली को तुम्हारा इंतजार होगाखो जायेंगी जब सब राहें
उम्मीद की किरण से सजा
एक रास्ता तुम्हें तकेगा
तुम्हें पता भी न होगा
अंधेरों के बीच
कब कैसे
एक नया चिराग रोशन होगा
सूख जाये चाहे कितना
मन का उपवन
एक कोना हमेशा बसंत होगा
सचमुच वसन्त भी शाश्वत है ,
पतझड़ की तरह. जिस दिन बसन्त न होगा,
जीवन में कोई आशा और सौन्दर्य भी न होगा....
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