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Computer/Important Excel Shortcuts

Important Excel Shortcuts Ctrl + P Used to open the print dialogue window Ctrl + N Creates a new workbook Ctrl + S Saves the current workbook Ctrl + C Copy contents of current select Ctrl + V Paste data from the clipboard SHIFT + F3 Displays the function insert dialog window SHIFT + F11 Creates a new worksheet F2 Check formula and cell range covered Ctrl +F2 Open Print Preview Window Ctrl+F4 Close Current Workbook Ctrl +F1 Expand or Collapse Ribbon Alt+F1 Create Embedded Chart F11 Create Chart in New Worksheet Ctrl+T Insert Table Shift+Space Select Table Row Ctrl+Space Select Table Column Alt+PgDn Move One Screen Right Alt+PgDn Move One Screen Left PgUp Move One Screen Up PgDn Move One Screen Down Ctrl+Home Move to first cell in worksheet Alt+ Enter To Write in Same Cell Feel fr...

मेरी प्यारी चश्मिश नयना

"ये पोस्ट मेरी दोस्त को समर्पित है"   च श्मिस 👓 कॉलेज शुरू हो चुका था। और नये-नये चेहरे देखने को मिल रहे थे। उन्हीं मे से एक चेहरा उसका भी है।  जिसका नाम नयना था ..खूबसूरत तो नहीं कहूँगा मगर बेहद ही क्यूट सी थी वह। उसकी आँखों में दूरबीन की भाँति एक चश्मा था, और आपको तो पता ही है कि चश्मिश लड़कियां बेहद क्यूट दिखती हैं और उसकी क्यूटनेस मे चार चाँद लगाती है उसकी खूबसूरत मुस्कुराहट, जो उसके होंठों पे हमेशा रहती थी वह B.Sc. की प्रथम वर्ष की छात्रा थी, दो-तीन दिनों तक नयना के नैनों की तरफ देखने पर उसकी एक और ख़ास अदा से वाकिफ़ हुआ कि वह चश्मा पूरा सटाकर नहीं पहनती थी, अक्सर थोड़ी नीचे ही रहता था। एक दिन  ऐसे ही वह अपने नये दोस्तों के साथ कक्षा  की ओर आ रही थी कि एक लड़का नयना को देखकर उँगली से कुछ इशारा करता है। नयना देखकर नजर-अंदाज करके निकल जाती है मगर उसकी सहेलियां पूछती हैं  की वह पागल क्या इशारा कर रहा था अपनी उँगली से.. नयना- अरे छोड़ न, ऐसी बातों पर ध्यान नहीं देते मगर मुझे भी पता नहीं क्या इशारा कर रहा था, कॉलेज में हर दिन वह लड़का जब भी नयना को देखता, मुस...

असहिष्णु होता भारतीय समाज

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                           असहिष्णु होता भारतीय समाज       📖📖  ⬇ 📖📖 एक कन्नड़ पत्रकार गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यद्यपि हत्या अपने आप में एक संगीन आपराधिक कृत्य तो है ही साथ ही यह आरोप कि बहुसंख्यक मत से अलग राय रखने के कारण उनकी हत्या की गई, इसे और भी संगीन बना देता है। यह अपने आप में कोई अकेली घटना नहीं है बल्कि इसकी एक  शृंखला रही है। नरेंद्र दाभोलकर, गोविद पनसारे, कलबुर्गी इत्यादि लोगों की हत्या के पीछे भी वैचारिक भिन्नता को कारण बताया जाता रहा है। फिर गोमाँस सेवन के अफवाह में अखलाक की हत्या भी इसी का एक उदाहरण था। इस प्रकार यह आरोप मज़बूत हो जाता है कि भारतीय समाज असहिष्णु होता जा रहा है। #क्या है असहिष्णुता ? असहिष्णुता यानी एक पक्ष द्वारा अपने से भिन्न पक्षों के विचार सुने या समझे बिना ही न सिर्फ उन्हें खारिज़ करना, बल्कि उनकी उपस्थिति को सहन करने से भी इनकार कर देना। समाज सिर्फ एकसमान विचारों एवं रुचियों वाले व्यक्तियों से ही मिलकर नहीं बनता है, बल्क...

Amardeep Sahu Deep: निजता का मुद्दा और भारत के निगरानी कानून

Amardeep Sahu Deep: निजता का मुद्दा और भारत के निगरानी कानून : निजता का मुद्दा और भारत के निगरानी कानून           ����⤵⤵ संदर्भ              ♻   Amardeepsahudeep  ♻                official youtube c... Amardeep Sahu Deep

निजता का मुद्दा और भारत के निगरानी कानून

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निजता का मुद्दा और भारत के निगरानी कानून           📖📖⤵⤵ संदर्भ              ♻   Amardeepsahudeep  ♻                official youtube channel ⤵⤵ ⤵⤵ कुछ समय पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया, जिसमें 10 सरकारी खुफिया एजेंसियों को किसी के भी कंप्यूटर डेटा पर निगरानी रखने यानी उसे खंगालने का अधिकार दिया गया है। केंद्र सरकार का कहना है कि यह कोई नया आदेश नहीं है, बल्कि IT (Procedure and Safeguards for Interception, Monitoring and Decryption of Information) Rules 2009 में इसका पहले से ही प्रावधान है। IT अधिनियम की धारा 69 की उपधारा (1) के तहत अगर एजेंसियों को ऐसा लागता है कि कोई व्यक्ति या संस्था देशविरोधी गतिविधियों में शामिल हैं तो वे उनके कंप्यूटरों में मौज़ूद डेटा को खंगाल सकती हैं और उन पर कार्रवाई कर सकती हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या भारत में प्रचलित निगरानी कानून निजता के लिये खतरा हैं? सुप्रीम कोर्ट ने तय किया था निजता पैमाना पिछले वर...

अटल बिहारी वाजपेयी Atal Bihari Vajpayee

अटल बिहारी वाजपेयी पर निबन्ध | Essay on Atal Bihari Vajpayee in Hindi Article shared by --   Amardeep Sahu Deep 1. प्रस्तावना : प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी देश के एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो अपनी पार्टी में ही नहीं, विपक्षी पार्टी में समान रूप से सम्माननीय रहे हैं । उदार, विवेकशील, निडर, सरल-सहज, राजनेता के रूप में जहां इनकी छवि अत्यन्त लोकप्रिय रही है, वहीं एक ओजस्वी वक्ता, कवि की संवेदनाओं से भरपूर इनका भाबुक हृदय, भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति आस्थावान इनका व्यक्तित्व सभी को प्रभावित कर जाता है । ये देश के सफल प्रधानमन्त्रियों में से एक हैं । इनकी विलक्षण वाकपटुता को देखकर लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने यह कहा कि- ”इनके कण्ठ में सरस्वती का वास है ।” तो नेहरूजी ने इन्हें ”अद्‌भुत वक्ता की विश्वविख्यात छवि से नवाजा ।” 2. जन्म व शिक्षा: श्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था । इनके पिता पण्डित कृष्णबिहारी वाजपेयी एक स्कूल शिक्षक थे और दादा पण्डित श्यामलाल वाजपेयी संस्कृत के जाने-माने विद्वान् थे । व...

समय What is time / how i mange the time / schedule of time

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 मैं समय हूं.. जो मेरी कीमत समझता है, हमेशा आगे बढ़ता है। कहा गया है कि 'आज अगर तुम वक्त को बर्बाद करोगे तो कल वक्त तुम्हें बर्बाद कर देगा।' 'काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में परलय होएगी, बहुरि करोगे कब।' इस बात से शायद आप भी इत्तफाक रखते होंगे। फिर भी क्या कभी आपने सोचा है कि समय का कितना सजग और सार्थक इस्तेमाल कर पाते हैं आप खुद? दरअसल, हम सभी का हमेशा यही रोना रहता है कि हमें वक्त ही नहीं मिलता। लेकिन अगर आप चाहें तो समय पर लगाम कस सकते हैं। इसके लिए समय की कीमत और उपयोग का अंदाजा होना जरूरी है। समय की कीमत का अंदाजा जिन्हें होता है, वे समय पर राज करते हैं। मैनेजमेंट गुरुओं के मुताबिक समय का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए मल्टी टास्किंग बहुत जरूरी है।  ऐसी ही कुछ स्त्रियां, जिन्होंने समय पर लगाम कसी हुई है, सखी उन्हें सलाम करती है। फिर चाहे वह किसी भी क्षेत्र से जुड़ी हों। खरीद लेती हूं समय: किरन बेदी स्त्री घर ही नहीं, बाहर भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रही हैं। ऐसे में घर-बाहर संतुलन बिठाने के लिए टाइम मैनेजमेंट बहुत बड़ी चुनौती बन जात...

मौलिक अधिकारों का अर्थ What is Fundamental rights

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मौलिक अधिकारों का अर्थ     Mean Of Fundamental Rights   मौलिक अधिकार उन अधिकारों को कहा जाता है जो व्यक्ति के जीवन के लिये मौलिक होने के कारण संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किये जाते हैं और जिनमें राज्य द्वार हस्तक्षेप नही किया जा सकता। ये ऐसे अधिकार हैं जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिये आवश्यक हैं और जिनके बिना मनुष्य अपना पूर्ण विकास नही कर सकता। ये अधिकार कई करणों से मौलिक हैं:- 1. इन अधिकारों को मौलिक इसलिये कहा जाता है क्योंकि इन्हे देश के संविधान में स्थान दिया गया है तथा संविधान में संशोधन की प्रक्रिया के अतिरिक्त उनमें किसी प्रकार का संशोधन नही किया जा सकता। 2. ये अधिकार व्यक्ति के प्रत्येक पक्ष के विकास हेतु मूल रूप में आवश्यक हैं, इनके अभाव में व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास अवरुद्द हो जायेगा। 3. इन अधिकारों का उल्लंघन नही किया जा सकता। 4. मौलिक अधिकार न्याय योग्य हैं तथा समाज के प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से प्राप्त होते है। साधारण कानूनी अधिकारों व मौलिक अधिकारों में अंतर साधारण कानूनी अधिकारों को राज्य द्वारा ला...

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