मधुशाला | Madhushala - हरिवंश राय बच्चन | Harivansh Rai Bachchan |
मृदु भावों के अंगूरों की
आज बना लाया हाला, प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला, पहले भोग लगा लूँ तेरा, फिर प्रसाद जग पाएगा, सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१। |
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