आशा का दीप Asha ka Deep #Amardeepsahudeep

निराश ना हो तेरी जीत का, परचम भी लहराएगा 
याद रखेगी तुझको दुनिया, एक दिन ऐसा भी आएगा

आशा का दीप एक ऐसा जला, उजियारा जिसका चहुँ  ओर हो
बन मशाल तू दूसरों की, उम्मीदों का जाल घनघोर हो 
खुद के स्वार्थ के लिए जो जिया, वह खुदा को क्या मुंह दिखाएगा
निराश ना हो तेरी जीत का, परचम भी लहराएगा 

हौसलों से ही तो, सिकंदर हर एक खड़ा होता है
तकदीर बनती हैं संघर्ष से, फिर क्यों खड़ा खड़ा रोता है
झांक अंदर और पहचान खुद को, वही तुझको धर्म का रास्ता दिखलाएगा
निराश ना हो तेरी जीत का, परचम भी लहराएगा
















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