जब वसुदेव को NGT की पुलिस ने गिरफ्तार करना चाहा - व्यंग #AmardeepSahuDeep

 भीषण वर्षा  की रात में कंश का कारागार श्री कृष्ण का जन्म हो चुका है। वसुदेव उन्हें टोकरी में रखकर गोकुल ले जाने के लिए तैयार हैं। टोकरी सिर पर रखकर वसुदेव ने देवकी से विदा ली।  

नदी पार करने क लिए उन्होंने यमुना में पाँव रखा।  वे जैसे-जैसे आगे जा रहे थे, यमुना का जल-स्तर बढ़ने लगा।  अचानक उन्हें लगा कि वर्षा के कारण भीग रहे बालक के ऊपर किसी ने छाता तान दिया है।  उन्होंने सिर घुमाकर देखा तो शेषनाग जी ने हल्की सी मुस्कान के साथ उन्हें प्रणाम किया।  

वासुदेव को लगा कि नदी का जल-स्तर कुछ ही छणों में उनके गले तक पहुँच जायेगा।  उन्हें लगा कि मृत्यु तय है, परन्तु यह क्या ? ऊपर तक जाकर यमुना का जल बालक के पाँव छूकर उतरने लगा और नीचे ही होता गया।  

वसुदेव ने आसानी से नदी पार की और गोकुल पहुँच गये। यशोदा और नंद के घर बालक को सुलाया और वापस मथुरा की ओर चल पड़े।  एकबार फिर नदी का जल-स्तर उत्तर गया और वे आसानी से इस पार आ गए। 

नदी से निकलकर देखते हैं कि पुलिस का एक दस्ता उनकी प्रतीक्षा कर रहा था।  दस्ते से निकलकर इंस्पेक्टर साहब ने उन्हें हथकड़ी लगानी चाही तो वे बोले, ''इसकी क्या ज़रूरत थी ? मैं तो खुद चलकर कारागार ही आ रहा था।''

उनमे से एक सिपाही बोला, ''हम कंश की नहीं बल्कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की स्पेशल पुलिस हैं, और ये हैं ट्रिब्यूनल के वकील साहेब जिनके हाथ में है न्यायमूर्ति मुरलीधर द्वारा जारी किया गया आपकी गिरफ़्तारी का ऑर्डर।''

वासुदेव ने घबड़ाकर पूछा - परन्तु मेरा अपराध क्या है ?

इंस्पेक्टर बोला, ''आपकी वजह से एक घंटे के लिए यमुना सूख गयीं थीं, आपने पर्यावरण को जो नुकसान पहुँचाया है उसके लिए आपको सात साल की सजा मिली है और शेषनाग जी से भीषण बारिश में काम करवाने के लिए कंगना रणौत जी की शिकायत पर साढ़े ढाई महीने की अतिरिक्त सज़ा मिली है।''

वासुदेव पुलिसवालों के साथ अर्धसरकारी जीप में बैठे चले जा रहे हैं।  





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