Posts
Showing posts from September, 2023
उम्मीद का बसन्त - अमरदीप साहू दीप
- Get link
- X
- Other Apps
By -
Amardeep Sahu
-
ला ख उजड़ा हो चमन एक कली को तुम्हारा इंतजार होगा खो जायेंगी जब सब राहें उम्मीद की किरण से सजा एक रास्ता तुम्हें तकेगा तुम्हें पता भी न होगा अंधेरों के बीच कब कैसे एक नया चिराग रोशन होगा सूख जाये चाहे कितना मन का उपवन एक कोना हमेशा बसंत होगा सचमुच वसन्त भी शाश्वत है , पतझड़ की तरह. जिस दिन बसन्त न होगा, जीवन में कोई आशा और सौन्दर्य भी न होगा....
जिन्दगी विद ऋचा - पंकज त्रिपाठी
- Get link
- X
- Other Apps
By -
Amardeep Sahu
-
दो एक दिन पहले "ऋचा विथ जिंदगी" का एक ऐपिसोड देखा , जिसमे वो पंकज त्रिपाठी से मुख़ातिब हैं । मुझे ऋचा अपनी सौम्यता के लिये हमेशा से पसंद रही है , इसी वजह से उनका ये कार्यक्रम देखता हूँ और हर बार पहले से अधिक उनका प्रशंसक हो जाता हूँ। इसके अलावा सोने पर सुहागा ये होता है कि जिस किसी भी व्यक्तित्व को वे इस कार्यक्रम में लेकर आती है , वो इतने बेहतरीन होते है कि मैं अवाक् रह जाता हूँ। ऋचा, आपके हर ऐपिसोड से मैं कुछ न कुछ जरुर सीखता हूँ। अब आते हैं... अभिनेता पंकज त्रिपाठी पर, जिनके बारे में मैं बस इतना ही जानता था कि वो एक मंजे हुए कलाकार हैं और गाँव की पृष्ठभूमि से हैं। ऋचा की ही तरह मैंने भी उनकी अधिक फिल्मे नहीं देखी। लेकिन इस ऐपिसोड के संवाद को जब सुना तो मजा आ गया। जीवन को सरलतम रुप में देखने और जीने वाले पंकज त्रिपाठी इतनी सहजता से कह देते हैं कि जीवन में इंस्टेंट कुछ नहीं मिलता , धैर्य रखें और चलते रहें ...इस बात को खत्म करते हैं वो इन दो लाइनों के साथ, जो मुझे लाजवाब कर गयी..... कम आँच पर पकाईये, लंबे समय तक, जीवन हो या भोजन ❤️ इसी...
पुस्तक - न भूतो न भविष्यति
- Get link
- X
- Other Apps
By -
Amardeep Sahu
-
आ ज एक चिर प्रतिक्षित किताब पढ़नी शुरू की है । सिर्फ तीस पन्ने पढ़े है और एक बहुत सुंदर प्रसंग आया और स्वयं को बताने से रोक नहीं सका । मैं स्वामी रामकृष्ण परमहंस का प्रशंसक हूँ और उन्हें एक निश्छल अबोध सरल से सरलतम सन्यासी के रूप में देखता हूँ ....उनकी इसी निश्छलता और सरलता का प्रसंग पढ़ा और मन पुलकित हो गया । इस प्रसंग में नरेंद्र, ठाकुर (रामकृष्ण परमहंस) की बातों से उनको थोड़ा पगलाया हुआ सा समझते है और अपने तर्क वितर्क से, अपनी हाई स्कूल के ज्ञान से, देश विदेशों के पढ़े दर्शन से वे ठाकुर को समझाने की चेष्टा करते है कि जिस माँ के दर्शन की वे बात करते है वो वास्तव में "हैल्यूसिनेशंस" है । ऐसे में सबको ऐसा सब दिखता है जिसकी वे कल्पना करते है और आपकी 'माँ' भी आपको ऐसे ही दिखती है। ठाकुर का मुहँ उतर जाता है और वे बोलते है लेकिन माँ मुझसे बाते करती है। नरेंद्र कहते है कि आप सिर्फ बातें करते है, लोगो के साथ तो देवी देवता नृत्य भी करते है....यह एक रोग है , कही बढ़ न जाये, संभालिये अपने आप को। ...
गुरु से मिली एक शिक्षा के दो रूप - कहानी
- Get link
- X
- Other Apps
By -
Amardeep Sahu
-
अद्भुत संदेश है इस कहानी में ✅ ➖➖➖➖➖➖➖➖ एक बार एक व्यक्ति की उसके बचपन के टीचर से मुलाकात होती है । वह उनके चरण स्पर्श कर अपना परिचय देता है। वे बड़े प्यार से पुछती है, 'अरे वाह, आप मेरे विद्यार्थी रहे है, अभी क्या करते हो, क्या बन गए हो ?' ' मैं भी एक टीचर बन गया हूं ' वह व्यक्ति बोला,' और इसकी प्रेरणा मुझे आपसे ही मिली थी जब में 7 वर्ष का था।' उस टीचर को बड़ा आश्चर्य हुआ, और वे बोली कि,' मुझे तो आपकी शक्ल भी याद नही आ रही है, उस उम्र में मुझसे कैसी प्रेरणा मिली थी ??' वो व्यक्ति कहने लगा कि .... 'यदि आपको याद हो, जब में चौथी क्लास में पढ़ता था, तब एक दिन सुबह सुबह मेरे सहपाठी ने उस दिन उसकी महंगी घड़ी चोरी होने की आपसे शिकायत की थी। आपने क्लास का दरवाज़ा बन्द करवाया और सभी बच्चो को क्लास में पीछे एक साथ लाइन में खड़ा होने को कहा था। फिर आपने सभी बच्चों की जेबें टटोली थी। मेरे जेब से आपको घड़ी मिल गई थी जो मैंने चुराई थी। पर चूंकि आपने सभी बच्चों को अपनी आंखें बंद रखने को कहा था तो किसी को प...