How be Happy // It's my pleasure // AmardeepSahuDeep

बहुत दिनो से pleasure scooty का उपयोग नहीं होने से, वह पड़ी पड़ी खराब होने जैसी स्थिति में पहुंच रही थी। विचार आया olx पे बेच दें।Ad. डाली... कीमत Rs. 30000/-बहुत आफर आये 15 से 28 हजार तक। मुझे लगा यदि 28 मिल रहे तो, कोई 29-30 हजार भी देगा।एक का 29000/- का प्रस्ताव आया। उसे भी waiting में रखा।एक सुबह एक Call आया, उसने कहा -साहब नमस्कार, आपकी स्कूटी का Ad देखा। पसंद भी आयी है। परन्तु  30 हजार जुटाने का बहुत प्रयत्न किया, 24 हजार ही इकठ्ठा कर पाया हूँ। बेटा इंजिनियरिंग के अंतिम वर्ष में है। बहुत मेहनत किया है उसने। कभी पैदल, कभी साइकल, कभी बस, कभी किसी के साथ जाता है। सोचा अंतिम वर्ष तो वह अपनी स्कूटी से ही जाये। आप कृपया  pleasure मुझे ही दिजीएगा। नयी स्कूटी दुगनी कीमत से भी ज्यादा की है। मेरी हैसियत से बहुत ज्यादा है। थोड़ा समय दीजिए। मैं पैसों का इंतजाम करता हूँ। मोबाइल बेच कर कुछ रुपये मिलेंगें। परंतु हाथ जोड़कर कर  निवेदन है साहब, pleasure मुझे ही दिजीएगा।मैनें औपचारिकता में मात्र ok बोलकर फोन रख दिया। 

कुछ विचार मन में आये। वापस कॉल बैक किया और कहा आप अपना मोबाइल मत बेचिए, कल सुबह केवल 24 हजार  लेकर आईए, गाड़ी आप  ही ले जाईए,  वह भी मात्र 24 हज़ार में ही।

मेरे पास 29 हज़ार का प्रस्ताव होने पर भी 24 हजार में किसी अपरिचित व्यक्ति को मैं pleasure स्कूटी देने जा रहा था। सोचा.. उस परिवार में आज कितने pleasure अर्थात आनंद का निर्माण हुआ होगा। कल उनके घर pleasure जाएगी और मुझे ज्यादा नुकसान भी नहीं हो रहा था। ईश्वर ने बहुत दिया है और सबसे बड़ा धन शायद किसी जरूरतमंद की जरूरत पूरी हो जाये उसकी खुशी ही है। परमात्मा इन्हें खुश रखे।अगली सुबह उसने कम से कम 6-7 बार फोन किया । साहब कितने बजे आऊँ, आपका समय तो नहीं खराब होगा। पक्का लेने आऊं, बेटे को लेकर आऊं या अकेले आऊँ। पर साहब pleasure गाड़ी किसी और को नहीं दीजिएगा।

वह 2000, 500, 200, 100, 50 के नोटों का संग्रह लेकर आया, साथ में बेटा भी था। ऐसा लगा, पता नहीं कहां कहां से निकाल कर या मांग कर या इकठ्ठा कर यह पैसे लाया है।  बेटा एकदम आतुरता और कृतज्ञता से स्कूटी pleasure को देख रहा था। मैनें उसे दोनों चाबियां दीं , कागज दिये। बेटा गाड़ी पर विनम्रतापूर्वक हाथ फेर रहा था। रुमाल निकाल कर पोछ रहा था। उसनें पैसे गिनने को कहा, मैने कहा आप गिनकर ही लाये हैं, कोई दिक्कत नहीं।

जब जाने लगे, तो मैने उन्हें 500-500 के दो नोट वापस करते हुए कहा, घर जाते समय मिठाई लेते जाइएगा। सोच यह थी कि कहीं तेल के पैसे हैं या नहीं। और यदि हैं तो मिठाई और तेल दोनों इसमें आ जायेंगें ?आँखों में कृतज्ञता के आंसू लिये उन्होंने हमसे विदा ली और अपनी pleasure ले गए। जाते समय बहुत ही आतुरता और विनम्रता से झुककर अभिवादन किया। बार बार आभार व्यक्त किया।परंतु आज pleasure बेचते समय ही पता चला कि वास्तव में  pleasure (आनन्द) होता क्या है। हम लोग सहज भाव में कहते हैं - It's my pleasure (ये मेरा आनन्द है)जीवन में कुछ व्यवहार करते समय नफा नुकसान नहीं देखना चाहिए। अपने माध्यम से किसी को क्या सच में कुछ आनंद प्राप्त हुआ यह देखना भी होता है।करबद्ध निवेदन है कि ईश्वर ने आपको कुछ देने लायक बनाया हो या नहीं ,किसी एक व्यक्ति को सुख देने या खुशी देने लायक तो बनाया ही है। आज किसी के साथ खुशी बांटकर देखिएगा, वही pleasure(आनन्द) न आये तो कहना।








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