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"साहू इलेक्ट्रीकल्स एण्ड स्टेशनरी शॉप" ममना

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 "साहू इलेक्ट्रीकल्स एण्ड स्टेशनरी शॉप" से सेवायें लेने के लिए आपका कतई दिल की अन्दरूनी गहराई से स्वागत है।। 😍 हमारे यहाँ बिजली/लाइट से संबंधित सभी सामान (LED bulb, TV, Cooler, WallFan, Ceiling Fan, Kit, Wire, Camera, Bluetooth, Headphones, & etc)(लगभग सब कुछ) बहुत ही कम दामों पर मिलता है।। कम दाम इसलिए हैं क्योंकि हम अपना सभी सामान दिल्ली, कानपुर की फैक्ट्री से लाते हैं।। देखो ऐसो है कि हमने तो अपनी बात रख दी अब आप कुछु भी सामान हमाये यहाँ से लेओ ता तुम्हें भी जा बात को प्रमाण मिल जेहे कि हाँ बिया बात ता सही आ।। ☺☺ आज हम आपसे प्यार से शालीनता से बात करेंगे आप कल दोबारा आओगे।। 😘 "हम ग्राहक और मेहमान को भगवान मानते हैं" कृपया एकबार सेवा का मौका अवश्य दें।। - आपका छोटा भाई देव साहू (छोटू दाऊ) #SAHU_ELECTRICALS_&_STATIONARY_SHOP_MAMNA #साहू_इलेक्ट्रीकल्स_एण्ड_स्टेशनरी_शॉप_ममना #SAHU_MARKET_MAMNA #साहू_मार्केट_ममना ▄︻̷̿┻̿═━一 ▄︻̷̿┻̿═━一 😍😘😍☺😍😘😍

LIC के रूप में पहला प्यार // AmardeepSahuDeep // Story // kahani

 ऐसा कहा जाता है कि पहला प्यार कभी नहीं भूलता है और हर दिन यह विचार दिमाग में आता है कि, वह कहाँ होगी, कैसी होगी और क्या कर रही होगी....? एक बार घर पर, मेरा मोबाइल फोन बजा....देखा, एक अज्ञात नंबर था। मैंने फोन उठाया.....सामने से एक मधुर आवाज आई, क्या मैं रवि से बात कर सकती हूं...? आवाज थोड़ी जानी-पहचानी सी लगी....मैंने कहा, हां बोलो,  मैं रवि बोल रहा हूं, तुम कौन हो...? उसने कहा....पहचानो मेरा रोल नंबर 69 था। रोल नंबर 69 ने मुझे एक लड़की, प्रियंका की याद दिलाई, जो स्कूल में मेरी एक सहपाठी थी - जिसने स्कूल के समय में, कई प्रयासों के बावजूद मुझे महत्व नहीं दिया था। तुरंत ही मैं घर के बाहर पहुँचा....दिल की धड़कन बढ़ गई, साँस भी रुक गई, क्या करुं ...समझ नहीं आ रहा था कि, कैसे बात करूं...?? वह फिर बोली, तुम कहाँ हो, मैंने तुम्हें कितने सालों से नहीं देखा, मेरे पास तुम्हारा नंबर भी नहीं था। कल ही जीत मिला, उससे तुम्हारा नंबर लिया और तुम्हें फोन किया। अचानक उसने एक और बड़ा बम गिराया,  मैं तुमसे मिलना चाहती हूं, कब टाइम है तुम्हारे पास...? मैंने तुरंत जवाब दिया....रविवार को फ्री ...

अधूरे हमसफ़र के साथ पूरा सफ़र || अमरदीप साहू

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#ऐ_ज़िंदगी_मैं_तेरा_मुसाफ़िर_ही_सही_हूँ   हम RPSF (Railway Security Special Forces = रेल सुरक्षा विशेष बल) वाले हमेशा सफर में ही रहते हैं। मेरा तबादला हुआ था मेरे पास 3 दिन का समय था नई जगह जाने के लिए इसीलिए 2 दिन के लिए घर जा रहा था, बात 12 अगस्त 2021 की है, ट्रेन में सीट पर पहुँचा ही था कि पीछे से एक सुरीली आवाज आई,...  आप सीट बदल लीजिएगा हालाँकि मैं समझौता एक्सप्रेस पर सफ़र नहीं कर रहा था फिर भी मैं मना नहीं कर पाया और मैं साइड लोअर कार्नर सीट पर चला गया। बदले में उसने मुझे ''सुक्रिया सर जी'' कहा  मैं भी उसके अभिवादन के बदले मुस्कुराकर उससे कुछ पूछना चाहता था ( शायद उसका नाम या और भी बहुत कुछ क्योंकि उसकी खूबसूरती और शालीन भाव उसकी निडरता मुझे पसन्द आ गयी थी ) पर पूछ नहीं पाया। फिर अपनी लोअर बर्थ की सीट पर लेट गया सोचा आराम कर लूँ पर आँखों में नींद ही नहीं थी शरीर में कोई थकान नहीं थी घर जाने की खुशी भी आज कम लग रही थी. वहां बैठकर वापस देखा तो उस चेहरे को एक टक देखता ही रह गया, दोष मेरी आँखों का था हटने का नाम ही नहीं ले रही थीं। आरंभ से पड़ाव तक बार बार उसको ही देख...

How be Happy // It's my pleasure // AmardeepSahuDeep

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बहुत दिनो से pleasure scooty का उपयोग नहीं होने से, वह पड़ी पड़ी खराब होने जैसी स्थिति में पहुंच रही थी।  विचार आया olx पे बेच दें। Ad. डाली... कीमत Rs. 30000/- बहुत आफर आये 15 से 28 हजार तक।  मुझे लगा यदि 28 मिल रहे तो, कोई 29-30 हजार भी देगा। एक का 29000/- का प्रस्ताव आया।  उसे भी waiting में रखा। एक सुबह एक Call आया, उसने कहा - साहब नमस्कार, आपकी स्कूटी का Ad देखा। पसंद भी आयी है। परन्तु  30 हजार जुटाने का बहुत प्रयत्न किया, 24 हजार ही इकठ्ठा कर पाया हूँ। बेटा इंजिनियरिंग के अंतिम वर्ष में है। बहुत मेहनत किया है उसने। कभी पैदल, कभी साइकल, कभी बस, कभी किसी के साथ जाता है। सोचा अंतिम वर्ष तो वह अपनी स्कूटी से ही जाये। आप कृपया  pleasure मुझे ही दिजीएगा। नयी स्कूटी दुगनी कीमत से भी ज्यादा की है। मेरी हैसियत से बहुत ज्यादा है। थोड़ा समय दीजिए। मैं पैसों का इंतजाम करता हूँ। मोबाइल बेच कर कुछ रुपये मिलेंगें। परंतु हाथ जोड़कर कर  निवेदन है साहब, pleasure मुझे ही दिजीएगा। मैनें औपचारिकता में मात्र ok बोलकर फोन रख दिया।  कुछ विचार मन में आये।  वापस कॉल बैक...

introduction myself

 -- चेतावनी -- इस profile में लिखी गयी सारी बातें सत्य घटना पर आधारित हैं । इन बातों का किसी और व्यक्ति/घटना से किसी भी प्रकार से मिलना (वैसे किसी से मिलेगा नहीं) महज़ एक संयोग समझा जाएगा, मैं एक नम्बर का लुच्चा, लफंगा, आवारा, बद्तमीज़, नालायक, बदमाश, दुष्ट, पापी, राक्षस (और जो बच गया हो उसे भी जोड़ लो) कतई नहीं हूँ । हाँ दारू, सुट्टा, गाँजा, अफ़ीम, हेरोइन वगैरह…… ये सब भी नही पीता हूँ यार मैं बहुत होनहार , सीधा-साधा , सबको प्यार करने वाला , नेक दिल , ईमानदार, हिम्मती, शरीफ़ (पूरे शरीर से शराफ़त टपकती है भाई), भोला-भाला (बस भोला हूँ भाला वगैरह नहीं रखता---अरे भाई आदिवासी थोड़े ही हूँ। एक सीधा साधा लड़का हूं।

जब वसुदेव को NGT की पुलिस ने गिरफ्तार करना चाहा - व्यंग #AmardeepSahuDeep

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 भीषण वर्षा  की रात में कंश का कारागार श्री कृष्ण का जन्म हो चुका है। वसुदेव उन्हें टोकरी में रखकर गोकुल ले जाने के लिए तैयार हैं। टोकरी सिर पर रखकर वसुदेव ने देवकी से विदा ली।   नदी पार करने क लिए उन्होंने यमुना में पाँव रखा।  वे जैसे-जैसे आगे जा रहे थे, यमुना का जल-स्तर बढ़ने लगा।  अचानक उन्हें लगा कि वर्षा के कारण भीग रहे बालक के ऊपर किसी ने छाता तान दिया है।  उन्होंने सिर घुमाकर देखा तो शेषनाग जी ने हल्की सी मुस्कान के साथ उन्हें प्रणाम किया।   वासुदेव को लगा कि नदी का जल-स्तर कुछ ही छणों में उनके गले तक पहुँच जायेगा।  उन्हें लगा कि मृत्यु तय है, परन्तु यह क्या ? ऊपर तक जाकर यमुना का जल बालक के पाँव छूकर उतरने लगा और नीचे ही होता गया।   वसुदेव ने आसानी से नदी पार की और गोकुल पहुँच गये। यशोदा और नंद के घर बालक को सुलाया और वापस मथुरा की ओर चल पड़े।  एकबार फिर नदी का जल-स्तर उत्तर गया और वे आसानी से इस पार आ गए।  नदी से निकलकर देखते हैं कि पुलिस का एक दस्ता उनकी प्रतीक्षा कर रहा था।  दस्ते से निकलक...

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय हिंदी प्रवेश परीक्षा-2021

  जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय हिंदी प्रवेश परीक्षा-2021 40 of 40 points   1) 'लहरों के राजहंस' के लेखक हैं -  * 1/1 मोहन राकेश   नागार्जुन भीष्म साहनी जयशंकर प्रसाद Feedback इस ऐतिहासिक नाटक का प्रकाशन वर्ष 1963 ई. है | प्रमुख पात्र हैं - नंद, सुंदरी, अलका, श्यामांग, आनंद | इस नाटक में गौतम बुद्ध के सौतेले भाई 'नंद' का अंतर्द्वंद्व अंकित हुआ है जिसे अपनी पत्नी सुंदरी के आकर्षण और भाई गौतम के प्रभाव के बीच वह झेलता है | इसके केंद्र में 'पुरुष-नारी' के सम्बन्धों की समस्या है |   2) 'माटी की मूरते' किस विधा की रचना है ?  * 1/1 नाटक रेखाचित्र   उपन्यास कहानी Feedback यह रामवृक्ष बेनीपुरी का प्रसिद्ध 'रेखाचित्र' है |   3) आदिकाल को 'बीजवपन काल' किसने कहा है -  * 1/1 रामचंद्र शुक्ल हजारीप्रसाद द्विवेदी बच्चन सिंह महावीरप्रसाद द्विवेदी   Feedback विकल्प में उपस्थित अन्य विद्वानों द्वारा आदिकाल का नामकरण इस प्रकार है - रामचंद्र शुक्ल - 'वीरगाथाकाल' हजारीप्रसाद द्विवेदी - 'आदिकाल' बच्चन सिंह - 'अपभ्रंश काल : जातीय स...

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